फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में दिखीं अजब गजब किताबें
१६ अक्टूबर २०१०किताबों के मेले में अगर गायों के रंभाने और बकरियों के मिमियाने की आवाज आए तो कोई भी चौंकेगा. लेकिन फ्रैंकफर्ट मेले में तो ऐसी अजब गजब किताबें नजर आईं कि किताब शब्द के मायने ही बदल गए. जिक्र ऐसी ही कुछ किताबों का.
बोलती किताब
देखने में तो यह किताब सामान्य ही है. लाल रंग की बड़ी जिल्द जिसके अंदर के रंगीन पन्नों पर बहुत सारी तस्वीरें बनी हैं...खेलते बच्चे...इधर उधर भागते जानवर और फसल काटते कुछ किसान. हर पन्ना तस्वीरों से भरा है और इनके इर्द गिर्द शब्द भी लिखे हुए हैं. लेकिन आपको ज्यादा पढ़ने की जरूरत नहीं है. क्योंकि किताब के साथ एक पेन भी है. यह पेन सामान्य से थोड़ा बड़ा है और इसका पिछला सिरा एक तार से जुड़ा है. यह इलेक्ट्रॉनिक पेन है. और किताब एक खास तरह से बनाई गई किताब. बस आप इस पेन की निब को किसी तस्वीर से छुआ दीजिए और पेन आपको वह सब कुछ बता देगा जो आप पढ़ना चाहते हैं. मिखाइला मागीन इस किताब के बारे में ज्यादा बता सकती हैं क्योंकि वह उस कंपनी रावन्सबुर्गर के लिए काम करती हैं जिसने यह किताब पिछले महीने ही बाजार में उतारी.
मिखाएल कहती हैं, "जब आप शुरू करते हैं तो पन्ने पलटते हैं. आप बटन दबाते हैं और पेन को छुआते हैं. तो पेन जान जाता है कि यह किस किताब को पढ़ रहा है. फिर मैं पेन को इस चूहे पर छूती हूं तो यह चूहा अपने बारे में बोलने लगता है. इस तरह मुझे पता चलता है कि किताब में क्या क्या है."
किताब है या वाद्य यंत्र
यह फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले की सबसे अजीब किताबों में से एक थी क्योंकि यह किताब जैसी दिखती नहीं है. लकड़ी का एक बड़ा सा ढांचा है जिसमें लोहे की गोलियां इधर से उधर भाग रही हैं. लेकिन असल में यह बच्चों को सुरों के बारे में समझाने वाली एक किताब है. हां यह किताब से थोडी़ ज्यादा ही बड़ी है.
सबसे बड़ी किताब
फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में चर्चा में रही सबसे बड़ी किताब. इस किताब को फ्रैंकफर्ट मेले में लेकर आए ऑस्ट्रेलियाई प्रकाशक गॉर्डन चीयर्स. अगर आप 128 पन्नों की इस किताब को खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक लाख डॉलर खर्च करने होंगे. चीयर्स का कहना है कि पिछली बार लगभग इसी आकार की किताब 1660 में बनी थी जिसे इंग्लैंड के नरेश चार्ल्स द्वितीय को तोहफे के रूप में दिया गया था. लेकिन वह किताब गॉर्डन चीयर्स के एटलस से आकार में एक फुट छोटी थी. किताब इतनी बड़ी है तो इसके पन्ने पलटने में भी बहुत मेहनत लगानी पड़ती है.
एंटीक किताबें
फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में भविष्य की किताबें यानी ईबुक्स तो थी हीं, साथ ही एक पंडाल लगा था जिसमें एंटीक बुक्स यानी प्राचीन किताबें थीं. यहां ऐसी ऐसी किताबें थीं जो कब लिखी गईं इंसान को पता भी नहीं है. ऐसी ही किताबों के एक स्टोर के मालिक गुंटेर सिएस्ट्रस कहते हैं, "हमारे पास गैलिलियो का पहला एडिशन है. जॉन लॉक का पहला एडिशन है. ऐसी ही कुछ और किताबें हैं जो हमारे एंटीक बुक स्टोर पर उपलब्ध हैं. यह स्टोर फेसबुक पर भी है. हमारे पास सबसे महंगी किताब जो है वह बच्चों के लिए है. ये असल में तांबे की प्लेट हैं जिन पर हाथों से पेंट किया गया है. इसकी कीमत है 35 हजार यूरो."
35 हजार यूरो यानी 21 लाख 57 हजार रुपये. और इन्हीं साहब के पास सबसे सस्ती किताब है सिर्फ आधे यूरो मतलब करीब 30 रुपये की.
चित्रात्मक उपन्यास
ग्राफिक नॉवल यानी चित्रात्मक उपन्यास भारत से आए. भारत की कंपनी कैंप फायर पब्लिकेशन ये ग्राफिक नॉवल यानी चित्रात्मक उपन्यास लेकर आई. ना...ना...ये कॉमिक्स नहीं हैं. ये उनसे अलग हैं. कंपनी की डायरेक्टर अनुजा बताती हैं, "ग्राफिक नॉवल दिखते तो कॉमिक्स जैसे ही हैं लेकिन होते नहीं हैं. यह असल में गंभीर उपन्यासों को चित्रों के साथ पेश करने का जरिया है. हमने शेक्सिपयर के नाटकों से से लेकर रामायण और महाभारत की कहानियों तक कई किताबें चित्रात्मक उपन्यास के जरिए पेश की हैं. और लोगों ने इन्हें काफी पसंद किया है क्योंकि इन्हें पढ़ना सामान्य किताब पढ़ने से बेहतर अनुभव होता है."
किताबों के इस मेले में इतनी तरह की किताबें नजर आईं कि इस दुनिया में आप खो सकते हैं. किताबें देखते जाएंगे लेकिन शब्दों की यह दुनिया खत्म नहीं होगी.
रिपोर्टः फ्रैंकफर्ट से विवेक कुमार
संपादनः ओ सिंह