बंगाल चुनावः नेताओं का कमाल, पत्नियां मालामाल
१२ अप्रैल २०११बुद्धदेव को छोड़ दें तो सीपीएम की अगुवाई वाली सरकार के लंबे शासनकाल के दौरान सीपीएम के नेता तो बीते कुछ वर्षों में काफी अमीर हुए हैं. दिलचस्प बात यह है कि नेताओं और मंत्रियों से ज्यादा संपत्ति उनकी पत्नियों के नाम है. दरअसल, बुद्धदेव सरकार के मौजूदा कार्यकाल के दौरान जब बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण की लहर चली, उस बहती गंगा में हाथ धोकर पार्टी के कई नेताओं ने भारी बेहिसाब संपत्ति जुटा ली. इसके अलावा ग्रामीण इलाको में हरियाणा की खाप पंचायतों की तर्ज पर सीपीएम नेताओं की ओर से झगड़ों के निपटारे के लिए होने वाली बैठकों ने भी नेताओं की झोली भरी है. यही वजह है कि अब मुख्यमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेता अपनी गलती मानते हुए लोगों से माफी मांग रहे हैं.
नेताओं की संपत्ति
मुख्यमंत्री खुद किराए के एक सरकारी फ्लैट में रहते हैं. उनके पास नकद राशि के रूप में महज पांच हजार रुपये हैं. बुद्धदेव के पास कृषि भूमि, गैर-कृषि भूमि और व्यावसायिक या आवासीय इमारत जैसी कोई अचल संपत्ति नहीं है. वैसे उनकी पत्नी मीरा भट्टाचार्य के पास शहर के न्यू टाउन इलाके में एक आवासीय इमारत है. इस इमारत की मौजूदा कीमत 15 लाख रुपये आंकी गई है. उनकी पत्नी के पास 31 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.
बुद्धदेव तो खैर सादगी और अपनी साफसुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं. लेकिन सीपीएम के सभी नेता ऐसे नहीं हैं. लंबे अरसे से सत्ता में रहने की वजह से उन्हें शानोशौकत से जीने की आदत पड़ गई है. नंदीग्राम, लालगढ़ और सिंगुर समेत जिन इलाकों में बड़े पैमाने पर उद्योगों की स्थापना के लिए जमीन ली गई थी, वहां स्थानीय सीपीएम नेता अब महंगी गाड़ियों में चलते हैं. सबने अपने आलीशान महल खड़े कर लिए हैं. इस मामले पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सीपीएम नेता अनुज पांडे की मिसाल दी जा सकती है. नेताई हत्याकांड के प्रमुख अभियुक्त पांडे ने बीते दो तीन वर्षों के दौरान बेहिसाब संपत्ति हासिल कर ली है. इसी वजह से उन्हें स्थानीय लोगों और माओवादियों की नाराजगी का शिकार भी होना पड़ा. अब नेताई कांड में चार्जशीट दाखिल होने की वजह से वह भूमिगत हैं.
पत्नियां मालामाल
उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी से सीपीएम उम्मीदवार और नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य की संपत्ति तो बीते पांच वर्षों के दौरान घट कर आधी रह गई है. लेकिन इस दौरान उनकी पत्नी की संपत्ति तीन गुने से ज्यादा बढ़ी है. उनकी पत्नी एक स्कूल में पढ़ाती हैं. सीपीएम के वरिष्ठ नेता और राज्य के आवासन मंत्री गौतम देव की संपत्ति तो लगभग 20 लाख है. लेकिन उनकी पत्नी के पास 30 लाख की संपत्ति है. उनके बेटे के नाम भी लगभग आठ लाख की संपत्ति है.
राज्य के मछली पालन मंत्री और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार किरणमय नंदा की संपत्ति तो महज डेढ़ गुनी बढ़ी है. लेकिन उनकी पत्नी दीपिका नंदी की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2006 के विधानसभा चुनाव के समय दीपिका के पास 11.7 लाख की चल संपत्ति थी और 16 लाख की अचल संपत्ति. लेकिन अब यह बढ़ कर 28.88 लाख और 41.20 लाख तक पहुंच गई है.
राज्य के पीडब्लूयडी मंत्री और वाममोर्चा के घटक रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नेता क्षिति गोस्वामी के पास बीते चुनाव के दौरान 1.67 लाख की संपत्ति थी जो बीते पांच वर्षों के दौरान बढ़ कर 16 लाख से ऊपर हो गई है. वह उत्तर बंगाल की अलीपुरदुआर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
जिस राज्य में बीते पांच वर्षों के दौरान प्रति व्यक्ति आय महज पंद्रह हजार रुपये बढ़ी हो, वहां सीपीएम के नेताओं की संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोतरी का राज समझना किसी अर्थशास्त्री के लिए भी बेहद मुश्किल है.
रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः ए कुमार