बच्चों को गोद में रख अपनी जान बचाती मादा भालू
३० मार्च २०१८अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों की टीम ने 22 साल तक स्कैंडिनेवियाई भूरे भालुओं की प्रजनन रणनीति और अस्तित्व की पड़ताल करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जिसे नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल ने छापा है. नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज के प्रोफेसर जॉन स्वेनसन का कहना है, "भालुओं के जीवन में इंसान अब एक विकासपरक शक्ति है."
स्वीडन में स्कैंडिनेवियाई भालुओं का बड़े पैमाने पर शिकार होता है और कोई भी बगैर लाइसेंस के ही इनका शिकार कर सकता है, हालांकि पारिवारिक समूह में रह रहे भालुओं को कानूनी सुरक्षा दी गई है. प्रोफेसर स्वेनसन कहते हैं, "एक अकेली मादा को बच्चों के साथ रहने वाली मादा की तुलना में गोली मार जाने की संभावना चार गुना ज्यादा होती है."
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने देखा कि मादा भालू मातृत्व को अपने जिंदा रखने के तरीके के रूप में इस्तेमाल करना सीख रही हैं. ऐसी स्थिति में मां अपने बच्चों की देखभाल का समय 18 महीने से बढ़ा कर ढाई साल तक कर दे रही हैं. प्रोफेसर स्वेन्सन ने बताया, "आमतौर पर साथ रहने की उम्र रिसर्च 18 महीने तक ही होती है." बीते दो दशकों में यह बदल गया है. बच्चे अपनी मांओं के पास एक साल और रह रहे हैं. इसके जरिए मां और बच्चे दोनों की जिंदा रहने के आसार बढ़ जाते हैं. 2005 से 2015 के बीच बच्चों को अपने साथ एक साल ज्यादा रखने वाली मांओं की तादाद सात फीसदी से बढ़ कर 36 फीसदी हो गई है.
स्वेनसन बताते हैं कि हालांकि शिकार ने दूसरे जीवों पर भी असर डाला है लेकिन उतना ज्यादा नहीं जितना भालुओं पर. भालुओं में बच्चों की देखभाल का समय बढ़ने के कारण उनका जीवन चक्र धीमा हो गया है. उनके प्रजनन की संभवनाएं घट गई हैं क्योंकि मादा जब तक अपने बच्चों को खुद से दूर नहीं कर देती वह प्रजनन नहीं कर सकती. हालांकि भले ही कम समय की मातृत्व देखभाल प्रजनन के मौके बढ़ा देती है लेकिन इसकी क्षतिपूर्ति मां और बच्चों के जिंदा रहने की संभावना बढ़ने से हो जाती है. स्वेनसन ने बताया, "यह खासतौर से उन इलाकों के लिए सच है जहां शिकार ज्यादा होता है. वहां मादा बच्चों को एक साल ज्यादा अपने साथ रख कर बहुत फायदे में रहती हैं."
स्वीडन में शिकार का मौसम अगस्त के आखिर में शुरू हो कर मध्य अक्टूबर तक जाता है. 2010 से 2014 के बीच शिकारियों ने हर साल 300 से ज्यादा भालू मार दिए. 1930 में स्वीडन में केवल 130 भूरे भालू ही बच गए थे लेकिन उसके बाद सुरक्षात्मक उपाय लागू किए गए. नतीजा यह हुआ कि भालुओं की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी और 2013 में इनकी संख्या 2800 तक पहुंच गई.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)