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बढ़ती तपिश से सिकुड़ता धान का कटोरा

१० अगस्त २०१०

धान का कटोरा कहे जाने वाले एशिया महाद्वीप को ग्लोबल वार्मिंग से एक नई चुनौती पैदा हो गई है. बढ़ते तापमान से चावल की उपज घटने की बात सामने आने से अनाज संकट गहराने का खतरा पैदा हो गया है.

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तस्वीर: Wikipedia

ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण रात के तापमान में हो रही बढो़तरी का सीधा असर चावल की पैदावार पर पड़ रहा है. इससे दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक महाद्वीप एशिया में अनाज संकट के बादल और भी ज्यादा गहरा सकते हैं.

अमेरिका में नेशनल अकादमी ऑफ सांइस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एशिया स्थित विश्व के छह सबसे बडे़ चावल उत्पादक देशों में उपज कम हो सकती है. दुनिया का 90 प्रतिशत से अधिक चावल उत्पादन करने वाले ये देश चीन, भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बंगलादेश और वियतनाम हैं. यह रिपोर्ट पिछले छह साल में चावल के 227 चावल उत्पादक क्षेत्रों से दर्ज किए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है.

Pakistan Landwirtschaft Reisanbau
तस्वीर: AP

रिसर्च के प्रमुख जेरड वेल्च ने बताया कि तापमान में दिनोंदिन हो रही बढ़ोतरी के कारण रातें भी गरम हो रही हैं. रात के तापमान में ही ठीक से विकसित होने वाली धान की फसल इस बदलाव का सबसे ज्यादा शिकार हो रही है. रिपोर्ट के अनुसार 25 सालों में तापमान बढ़ने के कारण एशिया में पैदावार की वृद्धि दर 10 से 20 प्रतिशत कम हो गई है.

वेल्च के मुताबिक इन देशों में रहने वाली दुनिया की आधी से अधिक आबादी के लिए यह खतरे की घंटी है. लगभग तीन अरब की आबादी में एक अरब ऐसे गरीब लोग हैं जिनका मुख्य भोजन चावल है. मतलब साफ है कि चावल का उत्पादन कम होने से गरीबी और भुखमरी में भी इजाफा हो सकता है. उनका कहना है कि इस चुनौती से निपटने का फिलहाल एक ही उपाय है कि अधिक तापमान में की जा सकने वाली चावल की खेती के तरीके ईजाद किए जाएं.

रिपोर्टः एजेंसियां /निर्मल

संपादनः ए जमाल

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