बर्लिन की अंधेरी गलियों में जीवन का संगीत
२ अप्रैल २०१२अंधेरे, छोटे और धुएं से भरे हुए कमरे में करीब 20 लोग बैठे हुए हैं. सभी का ध्यान सामने बैठे गायक पर है. गिटार के साथ शानदार गाने पर अक्सर तालियां बज जाती हैं इसके बाद दर्शक फिर हाथ में अपना ड्रिंक लेकर गाने में तल्लीन हो जाते हैं. यह बर्लिन के बार का एक हिस्सा हैं जहां स्थानीय कलाकार कार्यक्रम देते हैं. यह बार एक अपार्टमेंट के नीचे का कमरा है जहां तेज संगीत नहीं बजाया जा सकता.
बर्लिन की इन तंग गलियों, बंद कमरों में शानदार, रचनात्मक संगीत उभर कर आता है. बड़े स्टेज, शो और हाउस फुल पॉश ओपेरा से ये छोटे बार बिलकुल अलग हैं. छोटे छोटे तहखाने में हमेशा कोई सरप्राइज दर्शकों के लिए रहता है.
अंडरग्राउंड
बर्लिन के जिले यूरोप में सबसे ज्यादा घनी आबादी वाले हैं. जहां भी कार्यक्रम की जगह मिल जाए, लोग हमेशा मौजूद रहते हैं. इन कार्यक्रमों में कोई ड्रम्स इस्तेमाल नहीं होते और रात दस बजे के बाद कोई शोर गुल नहीं क्योंकि बच्चे सो रहे होते हैं.
ऑस्ट्रेलिया की गायक और गीतकार नेड कोलेट कहते हैं, "ऐसा लगता है जैसे दर्शक भी आपके साथ स्टैंड पर हों." वह बर्लिन के नॉएकोल्न इलाके में रहते हैं और बर्लिन में आने वाले कलाकारों के साथ हर पंद्रह दिन में प्रोग्राम देते हैं. वे ऐसे कमरे बुक करते हैं जहां 30 से ज्यादा लोग नहीं आते. इन कमरों में कोई खिड़की नहीं होती. कई बार सिगरेट का धुआं तकलीफ़ देता है. लेकिन संगीत यादगार. दर्शकों और कलाकार के बीच नजदीकी संबंध बन जाता है और शायद इसलिए कोलेट बड़ी बड़ी कंसर्ट में बजाना मिस नहीं करते. जैसे वह मेलबर्न में बजाया करते थे.
वैलेंटीन श्टूर्बल में कोलेट के साथ बहुत बढ़िया कलाकार सुनने को मिल जाते हैं. जैसे सुजाना बवेरियन. बर्लिन के ए जैसे क्लब में कई बहुत अच्छे युवा कलाकार सुने जा सकते हैं. कभी उनका छोटा सा बैंड होता है लेकिन अक्सर ये गिटार के साथ ही गाते हैं.
यहां आने जाने के लिए कोई टिकट नहीं, एक टोपी कार्यक्रम के दौरान दर्शकों में घुमाई जाती है जिसे जितना लगता है पैसे दे देता है. जिन तहखानों, बंद कमरों में ये कार्यक्रम होते हैं उनका किराया 2 से 6 यूरो यानी 120 से 300 रुपये तक हो सकता है. लेकिन आपको तय करना है कि आप क्या देना चाहते हैं.
सोफा सेशन
कभी कभी लोग अपने घर में भी संगीतकारों को बुलाते हैं. 20-30 लोग किसी के घर में इकट्ठा हो कार्यक्रम सुनते हैं. वास्प समर नाम से कार्यक्रम देने वाले सैम वैरिंग काफी मशहूर हैं. वह बताते हैं कि वह भी सोफा सैलून करते हैं. बार किचन में बना दिया जाता है और अगर कोई सिगरेट पीना चाहे तो बाल्कनी में. ऐसे कार्यक्रमों का लक्ष्य है रचनात्मक कार्यक्रम और कीमत कम से कम. ऑस्ट्रेलिया से आई एलिजा हिस्कॉक्स कहती हैं, "मुझे यह अच्छा लगता है, लगता है जैसे आप अपने ही घर में कार्यक्रम कर रहे हों. बड़ी जगहों पर कार्यक्रम देना अलग बात है लेकिन यहां घर जैसा लगता है. आप बर्लिन में पैसे के लिए शो नहीं करते बल्कि ऐसा लगता है जैसे आप आरामदेह माहौल में बैठ कर नए प्रयोग कर रहे हों, वो भी यूरोप टूर या एल्बम की रिकॉर्डिंग से पहले."
कलाकारों का शोषण
बैरी क्लिफ बर्लिन में इस तरह के छोटे छोटे आयोजन करवाते हैं. उनकी बर्लिन गिग गाइड नाम की वेबसाइट है. उनको आशंका है कि इन कार्यक्रमों में कलाकारों का शोषण होता है. वह मानते हैं कि आयोजन करने वाले को तो इससे फायदा होता है लेकिन कलाकार भूखे ही रह जाते हैं. "कई अच्छे कलाकारों के नाम पर वे कमाते हैं और कलाकारों को पैसे देने के नाम पर टोपी उल्टी करके जो पैसा मिलता है वही होता है. लोग बार को पैसे देते हैं. मालिकों को कलाकारों को पैसे देने चाहिए. लेकिन ऐसा इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि संगीत के लिए बर्लिन आने वाले लोग बहुत हैं."
बर्लिन एकदम जीवंत शहर है और यहां संगीत प्रेमियों की भी कमी नहीं. इतने कम पैसे में इतनी सारी चीजें यहां मिलती हैं जिसका कोई जवाब नहीं. लेकिन अगर संगीतकारों, गायकों, कलाकारों को भी ठीक ठाक पैसे मिलने लगे तो शायद यह संगीत और शानदार हो जाएगा.
रिपोर्टः स्टुअर्ट ब्राउन/ आभा एम
संपादनः एन रंजन