बर्लिन में आंदोलन बना शाकाहार
१९ अगस्त २०११बर्लिन में शाकाहारी जुनून से मेरा सामना अचानक हुआ. मैं भाषा सिखाने वाले इंस्टीट्यूट की पार्टी से वापस आई थी. मैं इंटरनेट पर ऑनलाइन दोस्तों की तलाश कर रही थी. तभी मैंने वेगन के शेफ अटिला हिल्डमान की प्रोफाइल देखी. मैं वेगन के शेफ को बर्लिन में देख हैरान थी. वह बर्लिन ही में रहते हैं. मैं जब 11 साल की थी तब से मैं शाकाहारी हूं.
हिल्डमान के बारे में जबसे मुझे पता चला है, तब से उनके बिजनस को बढ़ते ही देखा है. एक साल पहले वह अपनी कुकिंग बुक्स छापने लगे. और अब तो जर्मनी की एक बड़ी एजेंसी उनका काम काज देखती है. वह कई टीवी शो में दिखाई देते हैं. जल्दी ही उनकी नई किताब भी आ रही है जिसका नाम है वेगन फॉर फन.
लगातार लोकप्रिय
एक बात तो साफ है कि अटिला के शाकाहारी भोजन के साथ प्रयोग खूब लोकप्रिय हो रहे हैं. वह बताते हैं, "मुझे हर वक्त किसी न किसी का ईमेल या फोन आता रहता है. जगह जगह के लोग मेरे साथ शाकाहारी रेस्त्रां खोलना चाहते हैं."
बर्लिन में शाकाहार का यह जुनून कैसे शुरू हुआ कहना मुश्किल है. कुछ लोग इसका श्रेय जोनाथन सैफरान की किताब ईटिंग एनिमल्स को देते हैं. लेकिन बहुत से लोग कहते हैं कि बर्लिन में अंतरराष्ट्रीय आबादी में हुई बढ़ोतरी इसकी वजह बनी. वजह कोई भी हो, लेकिन बर्लिन पूरे यूरोप में शाकाहारी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.
कहां कहां है शाकाहारी खाना
मैं बर्लिन के मशहूर मावर पार्क में पुरानी चीजों के एक बाजार में टहल रही थी, जब मुझे एक हरे ट्रेलर के सामने लंबी लाइन नजर आई. मुझे लगा कि यह लाइन डोनर या आईस क्रीम के लिए होगी. लेकिन बोर्ड देखकर मैं हैरान रह गई. वहां तो टोफू, सलाद, अंकुरित अनाज, टमाटर, तले प्याज, अचार और खीरे के साथ शाकाहारी सैंडविच मिल रहा था. एक खास तरह का सॉस भी था. मांसाहारी लोगों को टोफू और स्टीक को एक साथ रखने पर ऐतराज हो सकता है लेकिन शाकाहारियों के लिए तो यह प्रोटीन का भंडार है. मैंने तब पहली बार उसे चखा और बस मैं सन डे वेगन बर्गर्स की फैन हो गई.
सन डे वेगन बर्गर्स के संस्थापक रे कहते हैं, "तीन साल पहले जब मैं पहली बार वहां गया तो शाकाहारियों के लिए वहां कुछ भी नहीं था. तब मैंने क्रूरता मुक्त खाने का प्रचार करने के बारे में सोचा." बस रे ने कुछ हजार यूरो निवेश करके एक ट्रेलर खरीदा. खाना पकाने के लिए कुछ बर्तन वर्तन खरीदे और अपने रेस्त्रां को खूबसूरती से रंग कर सन डे बर्गर्स वेन शुरू कर दिया.
कुछ हफ्ते तो बिक्री धीमी ही रही. लेकिन जिसने भी चखा वह अगली बार किसी को साथ लेकर आया. बस बात फैलती चली गई और रे का काम भी बढ़ने लगा. वह बताते हैं, "पहले तो मैं इसे हफ्ते में एक बार के हिसाब से ही करना चाहता था क्योंकि मैं शाकाहारी खाने का प्रचार करना चाहता था. लेकिन अब मांग इतनी बढ़ गई है कि मुझे शायद एक और खोलना पड़ेगा. फिलहाल तो अपने बढ़ते ग्राहकों के लिए मेरे पास जगह नहीं है."
डोनर नहीं वोनर
ऐसा नहीं है कि शाकाहारियों के पास वेजी बर्गर या शाकाहारी डोनर (जिसे वोनर कहते हैं), ही हैं. कुछ बहुत अच्छे शाकाहारी रेस्त्रां भी हैं. शार्लोटेनबुर्ग में ला वेर्डे मानो एक बहुत ही शांत सा कैंडललाइट रेस्त्रां हैं. बर्लिन की मशहूर शाकाहारी हस्तियों के लिए यह एक पसंदीदा जगह है. शाकाहारी खाने की बढ़ती मांग को देखते हुए यहां के कुछ रसोइयों ने तो बाहर अपने अपने रेस्त्रां भी शुरू कर दिए हैं. क्रोएत्सबेर्ग का वियास्को या प्रेंत्स्लावरबेर्ग का लकी लीक ऐसे ही कुछ नाम हैं.
शाकाहारी खाने की एक ऑनलाइन गाइड हैपीकाउ के मुताबिक बर्लिन में कुल 56 ऐसी जगह हैं जहां पूरी तरह या ज्यादातर शाकाहारी खाना मिलता है.
आंदोलन है शाकाहार
जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने बर्लिन को सिर्फ इसलिए शाकाहारियों का स्वर्ग नहीं कहा है कि वहां कुछ शाकाहारी रेस्त्रां हैं. शहर में जानवरों के लिए जागरूकता भी बढ़ रही है.
इसी जुलाई में आलेक्जांडरप्लात्स में वेजिटेरियन समर फेस्टिवल हुआ. इसमें जानवरों के अधिकारों के बारे में भाषण दिए गए. शाकाहार के बारे में गाने गाए गए. दर्जनों दुकानों पर ऐसी चीजें बेची गईं जिन्हें बिना किसी क्रूरता के बानाया गया था. लोगों को शाकाहारी खाना बनाना सिखाया गया. जून में शहर में एक शाकाहारी परेड भी हुई थी जिसमें लोग अलग अलग जानवरों की शक्लें बनाकर शामिल हुए थे. अब तो ये कार्यकर्ता हर महीने किसी शाकाहारी रेस्त्रां में जमा होते हैं और बातचीत करते हैं.
आपस में भी मतभेद
ये लोग भले ही जानवरों से कितना भी प्यार करते हों, लेकिन जरूरी नहीं कि ये लोग एक दूसरे से भी प्यार करते हैं. या कम से कम इनका मकसद ही साझा हो, ऐसा भी नहीं. अटिला शाकाहार का प्रचार तो करते हैं लेकिन चमड़े के थैलों से उन्हें परहेज नहीं. इसलिए उनकी जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वालों झड़पें भी हो चुकी हैं.
वह कहते हैं, "बहुत से लोग हैं जो इस बात को कुछ ज्यादा ही खींच रहे हैं. "मतलब जब मैं मांस खा रहा था तब मैंने जानवरों से दिखने वाले कपड़ों में लोगों को मांस कत्ल है चिल्लाते सुना. लेकिन इससे मेरी सोच पर कोई असर नहीं हुआ. ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो शाकाहारियों को पागल कहते हैं. यह तो सोच का हिस्सा है."
सहमति हो या न हो, स्वाद एक हो या न हो, बर्लिन तो बदल रहा है. कम से कम शाकाहारियों की तादाद बढ़ रही है. हैम्बर्गर के लिए मशहूर रेस्त्रां भी अब कम से कम एक वेजी बर्गर जरूर रखते हैं.
रिपोर्टः जेनी हॉफ/वी कुमार
संपादनः आभा एम