बलात्कार पर पुलिस को कोर्ट की फटकार
२१ दिसम्बर २०१२23 साल की पीड़ित लड़की अब भी सफदरजंग अस्पताल में गंभीर हालत से गुजर रही है. इधर लोगों की भावनाएं बार बार उबल रही हैं और वो सड़कों पर उतर रहे हैं. नारे लिखी तख्तियां लेकर शुक्रवार को भी प्रदर्शनकारियों का जत्था सड़कों पर उतरा और जंतर मंतर से लेकर सफदर जंग अस्पताल और राष्ट्रपति भवन तक लोगों के गुस्से की गूंज सुनाई दी.
दोषियों के खिलाफ जल्द और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे राजपथ पर जमा हुए प्रदर्शनकारी इंडिया गेट की तरफ जा रहे थे. लेकिन बाद में राष्ट्रपति भवन की तरफ मुड़ गए. पुलिस ने इन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन इन्हीं में से एक दो महिलाएं अतिसुरक्षा वाले हिस्से में चली गईं, हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने जल्दी ही उन्हें बाहर निकाल दिया. सुरक्षा घेरा तोड़ने वाली नाराज प्रदर्शनकारी स्वाती ने कहा, "ये कह रहे हैं कि हमें अंदर जाने के लिए अनुमति लेनी होगी. हमें अनुमति की जरूरत क्यों है? जब हम पर हमला होता है, हमें प्रताड़ित किया जाता है तब किसी को अनुमति नहीं लेनी पड़ती. हम यहां अपनी आवाज उठाने आए हैं और इसके लिए हमें अनुमति लेने की जरूरत पड़ रही है."
पुलिस को इस मामले में आम लोगों से ही नहीं दिल्ली हाईकोर्ट से भी लताड़ सुननी पड़ी है. कोर्ट ने पुलिस से पूछा है कि 40 मिनट तक जिन इलाकों में बस घूमती रही और बलात्कार होता रहा उस दौरान इलाके में गश्त की जिम्मेदार पुलिस कहां थी और क्या कर रही थी. जांच की स्थिति के बारे में सौंपी रिपोर्ट में इस बारे में दिए जवाब को कोर्ट ने "छलने वाला" कहा है. कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली के पुलिस आयुक्त से भी रिपोर्ट मांगी थी. पुलिस ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसके बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जास्टिस डी मुरुगेसन की अध्यक्षता वाली बेंच का कहना है, "हमने पूरी रिपोर्ट देखी है और हम संतुष्ट नहीं है. इसमें पुलिस अधिकारियों के ब्यौरे का कहीं कोई जिक्र नहीं है."
कोर्ट ने अपनी नाखुशी जताते हुए कहा है, "हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि यह रिपोर्ट पूरे ब्यौरे के साथ बिना किसी देरी के पेश की जाए." हाईकोर्ट की बेंच में जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ भी हैं. शुक्रवार को इस मामले में कोर्ट की कार्रवाई की शुरूआत ही पुलिस को फटकार लगाने के साथ शुरू हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस मुरुगेसन ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, "यह एक छलने वाली रिपोर्ट है. आप लोगों ने उन पुलिस वालों का ब्यौरा नहीं दिया है जो ड्यूटी पर थे. हम अपने आदेश में लिखेंगे कि विस्तृत रिपोर्ट नहीं दी गई है."
सिटी पुलिस की तरफ से पेश हुए वकील नजमी वजीरी के सामने कोर्ट को जवाब देना मुश्किल हो गया. उन्होंने बस इतना कहा, "मैं मानता हूं कि कोर्ट के सामने और ब्यौरा आना चाहिए था. पूरी ब्यूरोक्रैसी इस मामले में फंसी हुई है और हमारा ध्यान सबसे पहले मामले की छानबीन करना है." उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिया कि इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट बाद में पेश की जाएगी. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 9 जनवरी की तारीख पक्की की है.
इन सब के बीच पीड़ित लड़की अब भी बुरे हाल में है. स्वास्थ्य सेवा निदेशक जगदीश प्रसाद ने बताया है, "उस लड़की के सभी जरूरी अंग सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं. डॉक्टरों की एक टीम उसका ख्याल रखने के लिए बना दी गई है. केवल चिंता इस बात की है कि उसे संक्रमण न हो." सरकार ने पीडित लड़की के इस हादसे में बेकार हो चुके अंगों के ट्रांसप्लांट का भी भरोसा दिया है. इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि एक बार इस चोट से बाहर आने और संक्रमण से बच जाने के बाद ट्रांसप्लांट की कार्रवाई शुरू होगी. जगदीश प्रसाद ने बताया, "आंत का ट्रांसप्लांट भारत में संभव नहीं है, हम विदेश में इसकी संभावनाओं पर भी विचार कर रहे हैं." स्वास्थ्य आयुक्त ने कहा है कि विभाग इस मामले में पीड़ित छात्रा की पूरी मदद करेगा और प्रधानमंत्री राहत कोष से पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाने के लिए भी कोशिश की जा रही है. सरकार ने एम्स में सर्जरी यूनिट के प्रमुख डॉ एस सी शर्मा के नेतृत्व में पांच डॉक्टरो की एक टीम पीड़ित लड़की के इलाज के लिए बनाई है.
एनआर/एमजे (पीटीआई)