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बिग बॉस और राखी के इंसाफ को अंतरिम राहत

१८ नवम्बर २०१०

बिग बॉस और राखी सावंत के शो में परोसी जा रही फूहड़ता पर नकेल कसने की सरकार की कोशिशों को झटका लगा है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इन कार्यक्रमों पर शिकंजा कसने वाले सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी.

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विवादों में बुद्धुबक्सातस्वीर: AP

टीवी चैनल कलर्स पर दिखाए जा रहे रियलिटी शो बिग बॉस और एनडीटीवी इमेजिन पर राखी का इंसाफ में मनोरंजन के नाम पर धड़ल्ले से परोसी जा रही फूहड़ता को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इनका प्रसारण प्राइम टाइम के बजाय रात 11 बजे के बाद करने का निर्देश दिया. साथ ही न्यूज चैनलों पर भी इन कार्यक्रमों के दिखाए जाने पर रोक लगा दी.

इस निर्देश पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाते हुए मंत्रालय से जवाब तलब किया है. अदालत के इस आदेश के बाद अब ये कार्यक्रम सुनवाई की अगली तारीख 22 नवंबर तक प्राइम टाइम पर ही दिखाए जा सकेंगे. अदालत ने कहा कि मंत्रालय को इस तरह का आदेश जारी करने से पहले प्रसारणकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस देना चाहिए था. इसके बाद ही कार्यक्रम का समय बदलने का फरमान जारी किया जा सकता है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को सही माना कि सरकार ने इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

सरकार के आदेश के औचित्य पर अगली तारीख को अदालत फैसला करेगी कि क्या वाकई ये कार्यक्रम सस्ती और ओछी लोकप्रियता बटोर कर मुनाफा कमाने में लगे हैं और परिवार के एक साथ बैठ कर देखने के लायक तो कतई नहीं है. इस लिहाज से बिग बॉस और राखी के इंसाफ को राहत नहीं बल्कि महज पांच दिन की मोहलत मिली है.

दरअसल इन कार्यक्रमों में धड़ल्ले से गाली गलौच वाली अभद्र भाषा और किसिंग सीन पर जनता में तीखी प्रतिक्रिया के कारण सरकार को यह कार्रवाई करनी पड़ी. हद तो तब हो गई जब एक व्यक्ति को टीवी के पर्दे पर सरेआम राखी सावंत द्वारा नामर्द कहने के बाद उसने आत्महत्या कर ली.

एक गृहिणी मीणा पटेल का कहना है, "बच्चों के लिए ऐसे शो बेहद नुकसानदायक हैं. साथ ही बिग बॉस जैसे शो हमारी संस्कृति के लिए नहीं बने हैं. भारतीय मूल्य इनसे बिल्कुल अलग हैं." लेकिन बॉलीवुड फिल्मकार फराह खान ने इस तरह की बातों को ढोंग बताया है. वह कहती हैं कि इस बात की जिम्मेदारी मां बाप को लेनी चाहिए कि उनके बच्चे क्या देख रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः ए कुमार

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