बिजली के करंट से फिटनेस
४ जनवरी २०१२कोलोन में एक छोटा सा फिटनेस क्लब हैं, जहां सिर्फ दो लोग एक साथ ट्रेनिंग कर सकते हैं. आम क्लबों की तरह यहां बहुत सारे साइकल, ट्रेड मिल और क्रोस ट्रेनर और डंबल की जगह यहां सिर्फ हैंडलों, कंट्रोल बटन और डिसप्ले वाले दो स्टैंड हैं. ट्रेनिंग वाली चुस्त पोशाक के ऊपर बिजली के तारों वाली वास्केट पहनी जाती है. मैनेजर आंत्ये एलरब्रॉक सभी तारों को जांचती है और बांहों, कमर तथा पैरों में लगे बेल्ट को भी. उसके बाद इन सबकों स्टैंड के साथ जोड़ दिया जाता है और फिर ट्रेनिंग शुरू हो जाती है. अब हम मांशपेशियों के हर ग्रुप के लिए अलग अलग इलेक्ट्रिक इंपल्स तय करेंगे. उसमें कम फ्रीक्वेंसी वाला करंट मांशपेशियों तक जाता है जो शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं होता. चार सेंकड के बिजली के इम्पल्स की शक्ति पहले ही तय कर दी जाती है. "जब सारा कुछ तय हो जाएगा फिर हम ट्रेनिंग शुरू करेंगे," एलरब्रॉक की बात धमकी जैसी लगती है.
शरीर में कुलबुलाहट
शुरुआती हालत में जब सभी मांशपेशियों को आरंभिक तनाव की स्थिति में लाया जाता है, बिजली के करंट की मात्रा तय की जा सकती है. शरीर में कुलबुलाहट होती है जैसी कि सोई हुई मांशपेशियां जग गई हों. लेकिन वे तकलीफदेह नहीं होती. ऐसा लगता है कि आपके ऊपर पानी की तेज धार छोड़ी जा रही है. ट्रेनर ने वास्केट में लगे इलेक्ट्रोड को भिंगा दिया होता है ताकि करंट मुख्य मांशपेशियों में जाए. वास्केट पहले ठंडा और भींगा सा लगता है, लेकिन कुछ ही देर बाद गर्म हो जाता है. क्योंकि ट्रेनिंग का फौरन असर होता है. "आप झूठ नहीं बोल सकते", एलरब्रॉक कहती हैं, "बिजली का करंट मांशपेशियों को हर हाल में तुरंत प्रभावित करता है." मांशपेशियां करंट की वजह से सिकुड़ती हैं और उसकी वजह से मजबूत होती हैं.
कोलोन के जर्मन स्पोर्ट यूनीवर्सिटी के हाइन्त्स क्लाइनओएडर कहते हैं कि इसी तरह से सामान्य स्थिति में भी मांशपेशियां बनती हैं. उन्होंने इलेक्ट्रो-मियो-स्टीमुलेशन (ईएमएस) ट्रेनिंग के क्षेत्र में कई अध्ययन किए हैं. उनमें पेशेवर खिलाड़ियों के साथ साथ दिल के रोग के मरीजों ने भी हिस्सा लिया है. वे करंट ट्रेनिंग को इलाज की उचित संभावना भी मानते हैं. "यह इम्पल्स गहराई में जाता है. इसका मतलब है कि आप लक्षित रूप से हमारे समय की मुख्य समस्या पीठ और पेट की मांशपेशियों को सक्रिय कर सकते हैं." पेड़ू के क्षेत्र के लिए यह विशेष ट्रेनिंग मांओं को भी दी जा सकती है.
मांशपेशियों की सफल ट्रेनिंग
ईएमएस ट्रेनिंग से खासकर छोटे और गहराई में स्थित मांशपेशियों तक पहुंचा जा सकता है. यह अब तक सामान्य ट्रेनिंग से संभव नहीं था. लगभग 90 फीसदी मांशपेशियों की एक साथ ट्रेनिंग हो जाती है. अलग अलग तय किया जा सकता है कि कौन सी मांशपेशियों पर कितना जोर डालना है. वैज्ञानिक अध्ययनों में ताकत में वृद्धि के अलावा गति में वृद्धि भी देखने को मिली. यह खासकर पेशेवर खिलाड़ियों के लिए दिलचस्प है, लेकिन यह रोजमर्रे के लिए भी फायदेमंद है. वैसे क्लाइनओएडर चेतावनी देते हैं कि यह ट्रेनिंग बहुत गहन होती है इसलिए इसे लंबे समय तक नहीं किया जाना चाहिए.
इतना ही नहीं लेटे हुए भी ट्रेनिंग संभव है. लेकिन इसका प्रभावी रूप यह है कि खिलाड़ी जानबूझकर अपनी मांशपेशियों को तानता है. इलेक्ट्रिक इम्पल्स ट्रेनिंग के प्रभाव को बढ़ा देता है. इसे पंद्रह मिनट बाद महसूस किया जाता है. पूरे शरीर की ट्रेनिंग के दौरान लोग जल्द ही पसीना छोड़ने लगते हैं. आन्या एलरब्रॉक कहती हैं कि ट्रेनिंग की सफलता बहुत जल्द दिखने लगती है. "हमारे सदस्य अक्सर बताते हैं कि दो या तीन दिनों की ट्रेनिंग के बाद वे अच्छा महसूस करते हैं." छह सात दिनों की ट्रेनिंग के बाद लोग अपने को चुस्त दुरुस्त महसूस करने लगते हैं और सीढञियों पर चढ़ना आसान लगने लगता है. वार्षिक सदस्य होने पर एक बार की ट्रेनिंग के लिए 20 यूरो देना पड़ता है.
जो इस ट्रेनिंग को स्वस्थ खानपान और जॉगिंग या तैराकी जैसी नियमित ट्रेनिंग के साथ जोड़ देता है उसे वजन घटाने में भी मदद मिलती है. लेकिन खेल वैज्ञानिक क्लाइनओएडर कहते हैं कि सिर्फ ईएमएस ट्रेनिंग भी काफी है. "हर शौकिया खिलाड़ी नियमित ट्रेनिंग करने पर जल्द सफलता देखेगा." क्योंकि मांशपेशियां प्रतिक्रिया दिखाती हैं, चाहे आप उसे जिस तरह से सक्रिय करें.
रिपोर्ट: ओलिविया फ्रित्स/मझा
संपादन: एन रंजन