बीच भंवर महिलाओं की लहर
१४ नवम्बर २०१२जहाज में सवार रेबेका गोम्पर्ट गर्भपात की एक्सपर्ट डॉक्टर भी हैं और महिला कार्यकर्ता भी. वह 10 साल से वीमेन ऑन वेव्स नाम का अभियान चला रही हैं और कई जगहों पर निंदा और तिरस्कार किए जाने के बाद भी अपने अभियान पर कायम हैं.
उनका मानना है कि महिला को गर्भपात का अधिकार दिया जाना मानवाधिकार से जुड़ा है, "अगर महिलाओं को कानूनी तौर पर गर्भपात का अधिकार नहीं होगा तो इससे उनके सेहत के अधिकार का हनन होगा क्योंकि यह उन्हें खतरनाक और असुरक्षित बनाता है."
औरतों के लिए खतरा
डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "और ये गरीब महिलाएं हैं, जिनके पास पैसे नहीं हैं, जिनके पास जानकारी नहीं है और वे इन कानूनों में फंस गई हैं क्योंकि उन्हें नहीं पता कि सुरक्षित गर्भपात के लिए कहां बात करें. उनके पास इतने पैसे नहीं कि वे किसी डॉक्टर के पास जाएं, जिनकी बहुत फीस होती है. इस तरह ये कानून सबसे ज्यादा उन्हीं महिलाओं के लिए खतरनाक हैं, जिनके लिए इन्हें बनाया गया है."
वीमेन ऑन वेव्स का दावा है कि स्पेन और पुर्तगाल में गर्भपात के कानून में बदलाव उन्हीं की वजह से हुआ. लेकिन आयरलैंड और पोलैंड में उन्हें इतनी कामयाबी नहीं मिली. ये दोनों कैथोलिक देश हैं और सिर्फ जच्चा की जान को खतरे की स्थिति में ही वहां गर्भपात की अनुमति है.
मोरक्को में मुश्किल
अक्तूबर में उनका जहाज मोरक्को की ओर रवाना हुआ. किसी मुस्लिम देश की यह उनकी पहली यात्रा थी. वहां स्मिर तट पर उन्हें तख्ती लिए सैकड़ों लोगों का सामना करना पड़ा. इन तख्तियों पर लिखा था कि जीवन खुदा की देन है. मोरक्को की नौसेना ने लोगों के विरोध को देखते हुए जहाज को डॉक नहीं करने दिया.
यहां तक कि मोरक्को में गर्भपात अधिकार की वकालत करने वाले कार्यकर्ता भी इस जहाज के पक्ष में नहीं दिखे. मोरक्को के एक गैरसरकारी संगठन के शफीक शरेबी कहते हैं, "यह सही है कि यह पहल सांकेतिक है ताकि महिलाओं को गर्भपात का अधिकार मिल सके. लेकिन जहाज के अंदर अंतरराष्ट्रीय जल में गर्भपात करना मेरे ख्याल से कानून सम्मत नहीं है."
किसी जमाने में इस जहाज पर काफी मेडिकल काम होता था, अब नहीं. अब इस पर सवार कार्यकर्ता फोन लाइन के जरिए जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं. मिशन है कि जहाज के चले जाने के बाद भी महिलाओं को मदद मिलती रहे. मोरक्को की फोन लाइन अभी भी काम कर रही है, हालांकि जहाज वहां के तट को छोड़ चुका है. इस लाइन पर महिलाओं को बताया जाता है कि वह सुरक्षित तौर पर कैसे गर्भपात करा सकती हैं.
10 साल से सफर
गोम्पर्ट का कहना है कि जब वह ग्रीनपीस इंटरनेशनल के साथ सफर कर रही थीं, तभी उन्हें ऐसी बोट का आइडिया आया. जब वह एक नीदरलैंड्स के जहाज में सफर करती हैं, तो अंतरराष्ट्रीय जल में भी उस पर उसी देश का कानून मान्य होता है और खुद उनके देश यानी नीदरलैंड्स में कानूनी तौर पर गर्भपात की अनुमति है.
10 साल पहले वे सबसे पहले आयरलैंड गईं. उनकी वेबसाइट बताती है कि कई मुश्किलों के बाद उन्होंने आयरलैंड के लोगों की मदद की और बाद में मार्च 2002 में वहां इस मुद्दे पर जनमत हुआ. इस जहाज में एक चलित क्लीनिक भी है. गोम्पर्ट को कई जगह विरोधों का सामना करना पड़ा है और उन्हें आतंकवादी तक कहा गया है.
यह संस्था अब नए तरीके अपना रही है. यह देशों के अंदर इस मुद्दे पर बहस छेड़ रही है ताकि उस पर चर्चा होकर नया कानून बन सके. गोम्पर्ट ने हाल ही में वीमेन ऑन वेब नाम की वेबसाइट बनाई है, जो गर्भपात कराने की इच्छुक महिलाओं की मदद करती है. इसमें उन महिलाओं की कहानी भी है, जिन्होंने पहले गर्भपात कराया है. खुद गोम्पर्ट भी गर्भपात करा चुकी हैं.
कितने गर्भपात
उनका कहना है, "जैसे ही मैं गर्भवती हुई, मुझे पता था कि अभी मेरे लिए सही समय नहीं है. मुझे इस फैसले पर कोई अफसोस नहीं." उनका कहना है कि अब वह अपने बच्चों के साथ बेहद खुश हैं लेकिन उस समय वह अपने बच्चे को कुछ नहीं दे पातीं.
गोम्पर्ट का कहना है कि वह अपने तजुर्बे की वजह से यह काम नहीं कर रही हैं, बल्कि इसे एक मेडिकल समस्या के तौर पर देख रही हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2008 में दो करोड़ से ज्यादा गैरकानूनी गर्भपात किए गए. विश्व भर में इस क्रम में 13 प्रतिशत लोगों की मौत हो गई. ये गर्भपात ऐसे लोगों ने किए, जिन्हें कोई ट्रेनिंग नहीं मिली थी और जहां कोई मेडिकल सुविधा नहीं थी.
उनका कहना है, "अगर आप पूरी दुनिया की बात करें तो कई महिलाएं गर्भपात कराती हैं. नीदरलैंड्स में सबसे कम महिलाएं गर्भपात कराती हैं लेकिन फिर भी 20 फीसदी महिलाएं अपने जीवनकाल में एक बार गर्भपात जरूर कराती हैं. अमेरिका में 50 प्रतिशत." उनका कहना है कि इन आंकड़ों के बाद भी लोग इस पर सवाल उठाते हैं.
तुर्की की बारी
जहाज का अगला पड़ाव पक्का नहीं है. लेकिन वे तुर्की पर नजर रखे हुए हैं. वहां कई बंदरगाह हैं, जहां जहाज को डॉक किया जा सकता है. मई से ही गर्भपात को लेकर गर्मागर्म बहस चल रही है. तब तुर्की के प्रधानमंत्री रेचप तैयप एर्दोगान ने गर्भपात को हत्या बताया था.
प्रधानमंत्री ने इंस्तांबुल में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कहा, "मैं गर्भपात को हत्या समझता हूं. किसी को भी यह करने का अधिकार नहीं होना चाहिए."
देखना है कि मोरक्को में आई मुश्किलों के बाद वीमेन ऑन वेव्स की महिलाएं आगे क्या कर पाती हैं.
रिपोर्टः सिन्तिया टेलर और एमा वालिस/एजेए
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन