"बीमार बीजेपी को कीमोथेरेपी की ज़रूरत"
२८ अक्टूबर २००९पहले लोकसभा चुनाव, फिर जसवंत सिंह जैसे क़द्दावर नेता की विदाई और फिर तीन राज्यों में करारी शिक़स्त. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लगता है कि किसी बीमार पार्टी के साथ ही ऐसा हो सकता है. सरसंघ चालक मोहन भागवत का कहना है कि बीजेपी को बीमारी का पता लगाना चाहिए.
जब जयपुर में संवाददाताओं ने इससे जुड़ा सवाल पूछ लिया, तो भागवत कह बैठे, "जहां तक बीजेपी का सवाल है, जो भी ऑपरेशन, मेडिसीन या कीमोथेरेपी की ज़रूरत है, उन्हें ख़ुद अपनी बीमारी का पता लगाना है और उसका इलाज करना है."
लेकिन मोहन भागवत का प्रिस्क्रिप्शन बीजेपी को पसंद नहीं आया. पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से जब इस नुस्ख़े के बारे में पूछा गया, तो वह भड़क गए. उन्होंने कहा, "किसका दिमाग़ ख़राब हो गया है, जो ऐसी बात कर रहा है." राजनाथ का दावा है कि पार्टी के हौसले बुलंद हैं.
बीजेपी के अंदर कई दिनों से राजनीतिक फेरबदल की मांग चल रही है और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेता भी पार्टी में बदलाव की मांग कर चुके हैं. अरुण शौरी भी पार्टी के ख़िलाफ़ खुल कर बोल चुके हैं. अब मोहन भागवत की सलाह के बाद वरिष्ठ पार्टी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि डॉक्टर तो सिर्फ़ इलाज की बात कर सकता है. हम तो मरीज़ हैं.
इससे पहले मोहन भागवत ने अगस्त में दिल्ली में भी बीजेपी से कहा था कि उसे अंदरूनी झगड़े को निपटा लेना चाहिए और अगर किसी तरह के संस्थागत मदद की ज़रूरत है, तो आरएसएस वह देने को तैयार है.
आरएसएस बीजेपी को बीमार बता रही है तो बीजेपी आरएसएस को. बस बीमारी का फ़र्क है. आरएसएस समझती है कि बीजेपी को कैंसर हो गया है और उसे कीमोथेरेपी की ज़रूरत है. बीजेपी समझती है कि किसी को मानसिक बीमारी हो गई है, जो इस तरह के सुझाव दे रहा है. पार्टियां बीमार हों न हों, दोनों संगठनों के रिश्ते ज़रूर बीमार पड़ गए हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़