बुध ग्रह के रहस्यों से पर्दा उठना शुरु
३१ मार्च २०११साढ़े छह साल का समय और 4.9 अरब मील यानी करीब 7.9 अरब किलोमीटर की यात्रा करने के बाद 17 मार्च को बुध की कक्षा में दाखिल हुए मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने हजारों तस्वीरें भेजी हैं. मंगलवार को इसने ग्रह के रहस्यों पर से पर्दा उठाना शुरु कर दिया. जिस ग्रह पर दिन के वक्त तापमान 800 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है और रात में शून्य से नीचे 150 डिग्री तक गिर जाता है, वहां की तस्वीरों को देख नासा के वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे.
नासा ने कहा है, "जीएमटी के मुताबिक सुबह 0920 बजे मैसेंजर ने बुध ग्रह की ऐतिहासिक तस्वीर लेने में कामयाबी हासिल की. ये पहली ऐसी तस्वीर है जो किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य के सबसे करीबी ग्रह बुध की कक्षा में दाखिल होने के बाद हासिल की है."
पहली तस्वीरें
पहली तस्वीर में ग्रह का सबसे ऊपरी हिस्सा नजर आ रहा है जो जिसमें गहरे किरणों वाले क्रेटर दिख रहे हैं. इन्हें डेबुसी कहते हैं. जबकि निचले हिस्से में बुध ग्रह का दक्षिणी हिस्से के पास का इलाका नजर आ रहा है. ये हिस्सा अभी तक किसी अंतरिक्ष यान की पहुंच में नहीं आया था. एक बार तस्वीरें लेना शुरु करने के बाद अगले छह घंटों में मैसेंजर ने बुध क्ह की 363 तस्वीरें खींची. बुधवार को नासा ने ये तस्वीरें जारी कर दी हैं. जानकार इन तस्वीरों का विश्लेषण करने में जुट गए हैं. इस बारे में बुलाए गए प्रेस कांफ्रेंस में मिशन के प्रवक्ता और वाशिंगटन की कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के प्रोफेसर शोन सोलोमन ने कहा, "मैसेंजर की पूरी टीम इस बात से बेहद रोमांचित है कि अंतरिक्ष यान और उसके उपकरण योजना के मुताबिक ही काम कर रहे हैं. बुध की कक्षा से ली गई पहली तस्वीरें और पहली माप तो बस शुरुआत है. आने वाले सालों में इससे जानकारियों की जो बाढ़ आएगी उससे ग्रह की एक एक बात पता चलेगी."
सारे राज खुलेंगे
नासा के वैज्ञानिक दो पहले भेजे गए अंतरिक्ष यानों और मैरीनर 10 से मिली जानकारियों को जोड़ कर सूचनाओं को परख रहे हैं. इससे पहले जब भी यान भेजे गए तो वे बस बुध के पास से होकर गुजरे और इसी दौरान इन यानों ने जानकारी जुटाई. पर इस बार तो सीधे बुध की कक्षा में ही यान को स्थापित कर दिया गया है. मैसेंजर बुध का नक्शा बनाने का काम 4 अप्रैल से शुरु करेगा. मैसेंजर 12 घंटे में बुध की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है और इस दौरान बुध के सतह से इसकी ऊंचाई कम से कम 200 किलोमीटर रहती है.
बुध सूर्य का सबसे करीबी ग्रह है और यही वजह है कि यहां पहुंचने में काफी जोखिम है. सूर्य के आस पास विकिरण का स्तर काफी ऊंचा होता है इसके साथ ही यहां गुरुत्वाकर्षण बल भी अपने चरम पर रहता है. जाहिर है कि ऐसे में बुध के बारे में जानकारी जुटा पाना वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एमजी