बेल्जियम में आज से बुर्क़े पर बैन!
२२ अप्रैल २०१०31 मार्च को बेल्जियम में आतंरिक मामलों की एक समिति ने बहुमत से बुर्क़े और नक़ाब पर बैन लगाने को मंज़ूरी दी. संसदीय समिति की मंज़ूरी के बाद आज संसद में विधेयक को लाया जाना है. कहा जा रहा है कि संसद में बुर्क़े पर बैन लगाने वाले विधेयक को आसानी से मंज़ूरी मिल जाएगी. सरकार और विपक्ष दोनों विधेयक के समर्थन में हैं.
इस क़ानून के तहत बुर्क़ा या पूरा चेहरा ढकने वाले नक़ाब को पहनने वाली महिलाओं को 15 से 25 यूरो तक जुर्माना और सात दिन जेल की सज़ा हो सकती है. बुर्क़े पर पाबंदी को लेकर यूरोप में लंबे समय से बहस होती रही है. लेकिन बेल्जि़यम अब बुर्के़ पर पाबंदी लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बनने जा रहा है. यूरोप में बीते साल स्विटज़रलैंड ने मस्जिदों पर नई मीनारें बनाने पर रोक लगाई थी.
इस बीच फ्रांस भी बुर्क़े पर पाबंदी लगाने की तैयारी हो रही है. फ्रांस सरकार अगले महीने इस संबंध में क़ानून बनाने जा रही है. इस बीच मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच के एक वरिष्ठ यूरोपीय शोधकर्ता ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस तरह की पाबंदियां ख़तरनाक़ साबित हो सकती है. जुडिथ सनडरलैंड का कहना है, ''इस तरह के प्रतिबंधों से हालात ख़राब ही ख़राब होंगे. इस क़ानून से उन अधिकारों के उल्लंघन होता है जिनके तहत लोग मनचाही पोशाक पहन सकते हैं. इससे किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी, जो ऐसी पोशाकें पहनते हैं वो ऐसा करते रहेंगे.''
बेल्जियम की सरकार का तर्क है कि पहचान छिपाने वाली पोशाकों पर पाबंदी लगाने से सुरक्षा में सहूलियत होगी. लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता ऐसा नहीं मानते. सनडरलैंड का कहना है कि अब तक ऐसे सबूत नहीं मिले, जिनसे यह साबित हो कि पूरा बदन ढकने वाली पोशाकों से सुरक्षा में सेंध लगी है.
हालांकि इस विवादास्पद विधेयक के बाद बेल्जियम की सरकार का अस्तित्व ख़तरे में नज़र आ रहा है. फ्रेंच और डच समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टियों के बीच सत्ता और मंत्रिमंडल को लेकर खींचतान मच रही है. एक सहयोगी पार्टी ने समर्थन वापस लेने की धमकी भी दी है. देर रात तक दोनों पक्षों के बीच बातचीत होती रही. प्रधानमंत्री येव्स लेरर्म को उम्मीद है कि सुबह संसद में जाने से पहले सत्ता के समीकरण ठीक बैठ जाएंगे.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य