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बैंकों के एलान से बाजार चमके

१ दिसम्बर २०११

दुनिया भर के बड़े बैंकों के भरोसा दिलाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिरता के संकेत मिले हैं. बैंकों ने कहा है कि बाजार को सस्ती दर पर मुद्रा मुहैया कराई जाएगी. बाजारों में इस एलान से भरोसा जगा है.

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तस्वीर: picture alliance / landov

तीन साल पहले के वित्तीय संकट के बाद पहली बार कर्ज का संकट पैदा हो रहा था. पारस्परिक भरोसे के अभाव में बैंक एक दूसरे को धन उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहे थे. लेकिन महत्वपूर्ण बैंकों की घोषणा के बाद गुरुवार की सुबह जापान और ऑस्ट्रेलिया से लेकर भारत तक के बाजार उछाल के साथ खुले. वित्तीय संकट की आशंका के चलते कई दिनों के गोता खा रहा सिडनी का बाजार 2.64 फीसदी उछला. टोक्यो का शेयर बाजार 1.91 फीसदी और हांगकांग का मार्केट 5.50 फीसदी ऊपर गया. भारतीय शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने भी 2.96 फीसदी की तेजी देखी.

दरअसल बैंक ऑफ कनाडा, बैंक ऑफ इंग्लैंड, बैंक ऑफ जापान, यूरोपियन सेंट्रल बैंक, यूएस फेडरल रिजर्व और स्विस नेशनल बैंक ने बुधवार को एकमत होकर बाजार को सस्ती दर पर मुद्रा मुहैया कराने का एलान किया. बैंकों ने कहा कि, "वैश्विक वित्तीय तंत्र को तरलता मुहैया कराई जाएगी." बैंकों ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मुद्रा की अदला बदली में कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी. इसका मतलब है कि बाजारों को पर्याप्त मात्रा में डॉलर, यूरो और येन मुहैया कराया जाएगा.

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चीन का औद्योगिक उत्पादन गिरातस्वीर: picture alliance / Newscom

17 देशों वाले यूरो जोन पर छाए आर्थिक संकट की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हो रहा है. बांड्स की ब्याज दर काफी महंगी हो चुकी हैं. अब बांड्स पर कर्ज सस्ता करने का दवाब बन रहा है, जिसकी वजह से शेयर बाजार डगमगा रहा है. बैंकों के ताजा एलान के बाद उम्मीद है कि बांड्स पर दबाव कम होगा. बाजार विशेषज्ञ रिचर्ड हुटर कहते हैं, "यह साझा कदम ज्यादा कर्ज मुहैया कराने के लिए उठाया गया है. इसकी वजह से कर्ज लेने और मुहैया कराने वालों पर दबाव कम होगा."

बैंक डॉलर स्वैप लाइंस को भी 50 बेसिक प्वाइंट कम करने पर सहमत हुए हैं. इसका सीधा असर यह होगा कि विदेशी बाजारों को डॉलर आधा फीसदी सस्ता मिलेगा. निर्धारित समय के लिए बैंक दूसरे देश की मुद्रा के बदले सस्ता डॉलर मुहैया करा सकते हैं.

चीन के सेंट्रल बैंक ने भी कर्ज संबंधी नियमों में ढील दी है. तीन साल बाद यह पहला मौका है जब चीन के मैन्युफैक्चरिंग उद्योग को भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है. अतंरराष्ट्रीय और घरेलू मांग में आई गिरावट के चलते चीनी कारखानों का उत्पादन तीन फीसदी गिरा है. मंदी की आशंका को टालने के लिए चाइना सेंट्रल बैंक ने व्यापारिक बैंकों के लिए गारंटी की रकम कम कर दी है.

रिपोर्ट: एएफपी, रॉयटर्स, एपी/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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