ब्रिक्स देशों का अलग बैंक बनेगा
२९ मार्च २०१२राजनीतिक स्तर पर एक दूसरे से बिलकुल अलग ब्रिक्स देश कोशिश कर रहे हैं कि उसकी आर्थिक ताकत को मिला कर एक साझा कूटनीतिक शक्ति बन जाए. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका नई दिल्ली में चल रही शिखर बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. इस गुट में कोई भी पश्चिमी देश शामिल नहीं है और यह अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश में है.
सबसे बड़ा एजेंडा है ग्रुप की पहली संस्था बनाना, जिसे ब्रिक्स बैंक का नाम दिया जा रहा है. यह विकासशील देशों में विकास प्रोजेक्ट और ढांचागत विकास के लिए धन देगी.
हालांकि यह अभी योजना के ही स्तर पर है. ग्रुप के सदस्य देश वर्ल्ड बैंक और एशिया विकास बैंक की टक्कर में अपना बैंक खड़ा करना चाहते हैं. ब्राजील के व्यापार मंत्री फर्नांडो पिमेन्टल ने बुधवार शाम कहा, व्यावसायिक मौके बढ़ाने के लिए यह एक मजबूत वित्तीय साधन हो सकता है.
नई दिल्ली के आलीशान होटल में शुरू हुई शिखर वार्ता से पहले काफी प्रदर्शन हुए खास कर चीन के विरोध में निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों के. 27 साल के एक तिब्बती ने खुद को आग लगा ली, जिसके एक दिन बाद उसकी मौत हो गई. भारत में करीब 80 हजार तिब्बती निर्वासन में रहते हैं. भारत और चीन के रिश्तों में खटपट होते रहने का यह भी एक कारण है.
आलोचकों के मुताबिक भारत और चीन के बीच की टक्कर ब्रिक्स ब्लॉक के लिए एक मुश्किल है. साथ ही सदस्यों बीच मतभेद और उनके आर्थिक और राजनीतिक अंतर भी.
हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ रहा है लेकिन यह दुनिया के व्यापार का बहुत छोटा हिस्सा है. ब्लॉक कई मुद्दों पर एकमत नहीं हो पा रहा है. इस मतभेद का सबसे ताजा उदाहरण है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के अध्यक्ष के चुनाव पर मतभेद. ब्रिटेन के थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के वॉल्टर लुडविग कहते हैं, "पिछले दशक में तेज आर्थिक विकास और वैश्विक स्तर पर आर्थिक संस्थाओं में ज्यादा दखल की चाहत के अलावा इस ग्रुप के सदस्यों में बहुत ही कम साझी बातें हैं."
दुनिया में तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं भारत, ब्राजील, चीन और रूस को एक अमेरिकी आर्थिक विश्लेषक जिम ओ नील ने 2001 में ब्रिक नाम दिया. इस ग्रुप की पहली शिखर बैठक 2009 में हुई और 2010 में दक्षिण अफ्रीका के इसमें शामिल होने के बाद इसे ब्रिक्स नाम मिला. हालांकि दक्षिण अफ्रीका आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक मामलों में साझीदार है.
भारत के वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि ग्रुप एक नया वैश्विक ढांचा बनाने का लक्ष्य रखते हैं.
रिपोर्टः एएफपी/डीपीए/आभा एम
संपादनः ए जमाल