ब्रिटिश शाही घराने में कैथोलिक की जगह नहीं
२७ अप्रैल २०११लड़की खूबसूरत होनी चाहिये, बाल सुनहरे हो तो बेहतर है, शाही घराने की पार्टियों में पीना भी पड़ता है, उसकी आदत होनी चाहिये, कोई स्कैंडल वाली तस्वीर नहीं छपनी चाहिये. और एक बात - शाही दुलहन कैथोलिक नहीं हो सकती है.
इंगलैंड में सन 1701 से एक कानून है, जिसके मुताबिक तख्त के दावेदार किसी कैथोलिक कन्या से शादी नहीं कर सकते. राजसत्ता पर ऐंग्लिकन गिरजे का बर्चस्व बनाये रखने के लिये यह कानून बनाया गया था, और इसी के बल पर स्टुअर्ट रानी ऐन के बाद ब्रिटेन की गद्दी पर दूर के रिश्तेदार जर्मनी के हनोवर के राजा जॉर्ज को ब्रिटेन का सम्राट बनाया गया था. रानी एलिजाबेथ द्वितीय की बेटी प्रिंसेस ऐन के बेटे पीटर फिलिप्स ने कनाडा की युवती ऑटम केली से शादी की, जो पहले कैथोलिक थीं. लेकिन शादी से पहले ऑटम ने ऐंग्लिकन गिरजे में प्रवेश किया, ताकि उनके पति सिंहासन के दावेदारों की तालिका में बने रहे.
केट के लिये औपचारिकतायें
जहां तक प्रिंस विलियम की भावी पत्नी केट मिडलटन का सवाल है, तो जन्म के बाद ऐंग्लिकन गिरजे में ही उनका बपतिस्मा हुआ था. लेकिन एक औपचारिकता बाकी रह गई थी, किशोरी के रूप में कंफर्मेशन नहीं हुआ था. मार्च के महीने में उसे पूरा कर लिया गया है.
ऐंग्लिकन गिरजा इंगलैंड का राजकीय धर्म है, राजा या रानी इस गिरजे के प्रधान होते हैं. राजा बनने के बाद प्रिंस विलियम भी ब्रिटेन के औपचारिक धर्मगुरु बन जायेंगे और केट धर्मगुरु की पत्नी. जाहिर है कि उनकी धार्मिक पहचान में कहीं कोई खोट नहीं होनी चाहिये थी. देर आयद दुरुस्त आयद.
क्या आज के जमाने में ऐसा कानून उचित है? जाहिर है कि इंगलैंड का कैथोलिक गिरजा इससे खुश नहीं है. वेस्टमिंस्टर के पूर्व आर्चबिशप कार्डिनल कॉरमैक मर्फी ओकोनोर ने एक बार इस सिलसिले में कहा था कि यह अजीब बात है कि प्रिंस विलियम किसी हिंदू, बौद्ध या किसी अन्य युवती से शादी कर सकते थे, लेकिन किसी कैथोलिक लड़की से नहीं.
इस कानून को बदलने की कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं. वैसे इस मामले में ब्रिटेन अकेला देश नहीं है. मोनाको में कैथोलिक गिरजा राजकीय धर्म है. दक्षिण अफ्रीका की 33 साल की महिला तैराक चार्लीन विटस्टॉक और 53 साल के प्रिंस अलबर्ट इस साल गर्मी के दौरान शादी करना चाहते हैं. इसकी खातिर चार्लीन को कैथोलिक धर्म अपनाना पड़ा है. आखिर धर्म के मामले में तो कोई समझौता नहीं हो सकता.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: एन रंजन