ब्लैकबेरी ने भारत में घुटने टेके
३० अगस्त २०१०ब्लैकबेरी सेट बनाने वाली कंपनी रिसर्च इन मोशन ने अपने सुरक्षित आंकड़ों की कुंजी भारत सरकार को सौंपने का मन बना लिया है. भारत के गृह मंत्रालय ने सोमवार को इस बात का एलान किया. इसके साथ ही ब्लैकबेरी पर किसी पाबंदी की संभावना खत्म हो गई है. भारत सरकार ने उसे 31 अगस्त तक का वक्त दिया था.
भारत का कहना है कि वह ब्लैकबेरी से भेजे जाने वाले ईमेल और मैसेन्जर संदेश तुरंत पढ़ना चाहता है, न कि देर से. सरकार का कहना है कि इन सेवाओं का गलत इस्तेमाल न किया जाए, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों को इनकी फौरन पहुंच होनी चाहिए.
भारतीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "आरआईएम ने कुछ प्रस्ताव रखे हैं. इसके जरिए सुरक्षा एजेंसियां कानूनी तरीके से आंकड़ों को हासिल कर सकेंगी. इसके बाद हम देखेंगे कि जो आंकड़े हासिल किए जा रहे हैं, वे कितने काम के हैं." सरकार दो महीने में स्थिति का दोबारा जायजा लेगी.
भारत सरकार ने ब्लैकबेरी को 31 अगस्त तक अपने आंकड़े उपलब्ध कराने की समयसीमा तय की थी. सोमवार को बैठक के बाद इस पर सहमति बन गई. गृह मंत्रालय का कहना है कि टेलीकॉम मंत्रालय भी इस फैसले की समीक्षा करेगा. समझा जाता है कि अक्तूबर में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स को लेकर भी भारत सरकार ने नरम रवैया अपनाया है. बाहर से आने वाले खिलाड़ी और अधिकारियों के पास काफी संख्या में ब्लैकबेरी फोन सेट होगा और अगर वे काम न कर पाए तो सवाल उठेंगे. इसके अलावा भारत तेजी से विकास कर रहा टेलीकॉम बाजार है और यह नहीं चाहेगा कि ब्लैकबेरी पर रोक लगाने से उसकी छवि पर कोई असर पड़े.
ब्लैकबेरी से भेजे जाने वाले संदेश कोडेड होते हैं, जिन्हें भेद कर पढ़ना मुश्किल होता है. सरकार का कहना है कि गैरसामाजिक तत्व इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. लिहाजा इसकी काट होनी चाहिए.
भारत के अलावा कई और देशों ने ब्लैकबेरी पर चिंता जताई थी, जिसके बाद कंपनी ने सऊदी अरब जैसे देशों की मांग मान ली थी. भारत में ब्लैकबेरी के करीब 10 लाख उपभोक्ता रहते हैं और कंपनी के फैसले के बाद कम से कम उन्होंने तो राहत की सांस ली होगी.
रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल
संपादनः निर्मल