"बड़ी मुश्किल हुई"
२७ मार्च २०१३फेटल पर विवाद - सेबास्टियन फेटल द्वारा टीम के आदेशों की अवहेलना करके अपनी ही टीम के वेबर को पीछे करके जीतने पर बढ़ता विवाद कई सवाल खड़े कर रहा है. टीम ड्राइवरों को पुरस्कार व राशि देती है ऐसे में ड्राइवर टीम के प्रति जवाबदेह होते हैं लेकिन क्या टीम के अंको के लिए किसी ड्राइवर को नंबर एक बनने या विजेता बनने के लिए रोकना सही है. ड्राइवर का कैरियर या रिकार्ड क्या टीम से ऊपर नहीं है. शूमाकर को यदि लोग जानते हैं तो उनके व्यक्तिगत रिकार्ड से जानते हैं न कि टीम के अंको से या टीम से.
ईरान में शराब - कहा जाता है कि दरिया में डूबता व्यक्ति बच सकता है पर शराब की बोतल में डूबता व्यक्ति अपने साथ परिवार और समाज को भी ले डूबता है. ईरान में तीसरी बार शराब के साथ पकडे जाने पर मौत की सजा एक सख्त सजा है और इसका ही असर है कि 2008 से अब तक पीने वालों की संख्या में बढ़ोतरी नही हुई जबकि इस दौरान युवाओं की संख्या तेजी से बढी है. रिपोर्ट में 2010 में लगभग 150 मौतें हुई जबकि 2011 में मरने वालों की संख्या 100 से कम रही थी. ये रिपोर्ट भी उत्साह जनक है.
अनिल कुमार द्विवेदी, गांव सैदापुर, जिला अमेठी, उत्तर प्रदेश
जब आपका रेडियो शॉर्टवेव पर बंद हुआ, पहले तो हमें बड़ी मुश्किल हुई. फिर आप आए फेसबुक पर और आपकी खूबसूरत वेबसाइट जिसमें सुंदर-सुंदर फोटो और वीडियो हैं. और अब तो डीडब्ल्यू हिन्दी को भारत के टीवी पर हर शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी1 पर आधा घंटा मंथन टीवी शो में देखा जाता है जो कि शॉर्टवेव रेडियो से और भी ज्यादा मनोरंजक और ज्ञानवर्धक है. इसलिए हम हर हफ्ते क्लब मित्रों के साथ मंथन, वेबसाइट और फेसबुक विजिट करते हैं. हमारे अधिकतर क्लब सदस्य तो छात्र हैं जिन्हें इस प्रोग्राम से ज्ञान मिलता है. हम डीडब्ल्यू के फैन हैं और सदा रहेंगे.
सुनीलबरन दास, आर.बी.आई लिस्नर्स क्लब, जिला नादिया, पश्चिम बंगाल
जर्मनी के सुविधायुक्त जेल के बारे में आपके समाचार लेख के जरिए काफी कुछ जानने को मिला. आमतौर पर जेल को ऐसी जगह के रूप में देखा जाता है जहां न तो साफ-सफाई रहती है और न ही मूलभूत सुविधाएं मुहैया रहती हैं. लेकिन जर्मनी की नवीन आधुनिक जेल के बारे में पढ़कर लगा कि अब ये सोच बदल रही है और बदलनी भी चाहिए. जर्मनी की सर्वोच्च अदालत का कहना है कि जेल के सेल सात वर्गमीटर से कम के नहीं होने चाहिए अगर नई जेल में सेल दस वर्ग मीटर की हैं तो इसमें शोर नहीं होना चाहिए. वास्तव में कैदखाने का मतलब ये नहीं था कि अपराधी को सुख-सुविधा और मूलभूत आवश्यकताओं से दूर रखा जाए बल्कि इसका मकसद समाज से अलग-थलग करना था ताकि एकांत में बैठ कर अपराधी स्वयं के सुधार के बारे में कुछ सोच-विचार और मंथन कर सके. मेरे विचार से तो इस क्रांतिकारी कदम से अपराधियों में सुधार ही आएगा.
रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे