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भड़कती भावनाओं से फायदा किसका

२४ सितम्बर २०१२

विवादित फिल्म पर पाकिस्तान में हिंसा के बाद सवाल उठ रहे हैं कि धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कहीं राजनीतिक स्वार्थ के लिए तो नहीं हो रहा. मंत्री धार्मिक भावनाओं से लोगों को भड़का रहे हैं और उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है.

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तस्वीर: dapd

इस्लाम पर सवाल उठाती फिल्म के खिलाफ पाकिस्तान के रेल मंत्री ने मौत का फतवा जारी कर दिया है. इसके बाद पाकिस्तान सरकार ने सिर्फ बयान से दूरी बना कर अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन मंत्री को बर्खास्त करने या किसी भी तरह की कार्रवाई करने का कोई संकेत नहीं दिया है.

अमेरिका में बनी फिल्म 'इनोसेंस ऑफ मुस्लिम्स' पर दुनिया भर में बवाल मचा है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने बीते शुक्रवार को छुट्टी का एलान किया और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए लोगों में उत्साह भरा. पाकिस्तान सरकार ने जिसे आधिकारिक रूप से "पैगंबर के लिए प्यार का दिन" घोषित किया, वह लूटपाट और हिंसा का दिन बन गया. प्रदर्शनकारियों ने जम कर उपद्रव किया, दुकानें लूटी गईं, सिनेमा घरों और रेस्तरां में आग लगाई गई और दिन खत्म हुआ तो 21 लोगों की जान जा चुकी थी. 200 से ज्यादा लोग घायल हो चुके थे.

Ghulam Ahmad Bilour Minister Pakistan Archiv 2012
तस्वीर: Reuters

पाकिस्तान सरकार अभी इन नुकसानों का जायजा ही ले रही थी कि देश के रेल मंत्री ने फिल्मकार की हत्या करने वाले को एक लाख डॉलर का इनाम देने का एलान कर रही सही कसर भी पूरी कर दी. मंत्री गुलाम अहमद बिलौर ने अल कायदा और तालिबान से आग्रह किया है कि वह फिल्म बनाने वाले को मारने में मदद करें. रेल मंत्री का यहां तक कहना है कि वह खुद अपने हाथों से उसकी जान लेना चाहते हैं.

11 सितंबर को पहली बार फिल्म सामने आने के बाद से दुनिया भर में भड़की हिंसा अब तक 50 लोगों की जान ले चुकी है. पाकिस्तान सरकार ने छुट्टी का एलान कर विरोध प्रदर्शनों को अपने दरवाजे पर बुला लिया. इससे पहले भी पाकिस्तान में विरोध हो चुके हैं लेकिन वो शुक्रवार जितने प्रबल नहीं थे. 18 करोड़ की आबादी वाले देश में कुल मिला कर 45 हजार प्रदर्शनकारी संख्या के लिहाज से तो बहुत ज्यादा नहीं लेकिन इनके मंसूबे अच्छे नहीं थे. जैसा कि अकसर पाकिस्तान में होता है प्रदर्शन करने वालों में बहुतों ने चरमपंथी गुटों के बैनर ले रखे थे. इन लोगों के हंगामे में उदारवादियो की आवाज दब गई.

पाकिस्तान अपनी धरती पर इस्लामी उग्रवाद से जूझ रहा है लेकिन "आतंक के खिलाफ जंग" में अमेरिका के साथ खड़ा होना उसके लिए मुसीबत बन गया है. सरकार विपक्ष और चरमपंथियों के इन आरोपों से बचना चाहती है कि वह पश्चिमी ताकतों के साथ कुछ ज्यादा ही गलबहियां कर रही है.

Demonstration gegen Anti-Mohammed-Film in Lahore
तस्वीर: Reuters

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डेली टाइम्स के संपादक नजम सेठी कहते हैं कि विरोध का दिन सोच समझ कर उठाया गया कदम था लेकिन इसका असर उल्टा हुआ. सेठी ने कहा है, "वह एक जुआ था. उन्हें उम्मीद थी और उन्होंने सोचा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होंगे. यहां तक कि जब उन्हें जब अहसास हो गया कि यह हिंसक हो सकता है तब भी उन्होंने कुछ नहीं किया क्योंकि ये लोग डरे हुए थे. इन पर पहले से ही पश्चिमी ताकतों के खिलाफ नरम होने के आरोप लग रहे हैं."

लेखक और विश्लेषक हसन असकरी का कहना है कि इन घटनाओं से साबित हुआ है कि सरकार ने एक छोटे लेकिन मुखर धार्मिक ताकतों को सब कुछ तय करने दिया. असकरी ने कहा, "हमेशा की तरह सरकार धार्मिक ताकतों की विकेट पर खेली और उनसे हार गई. शुक्रवार को छुट्टी घोषित कर उठाए गए कदम को उसने अपने तक नहीं रखा. यह पहल धार्मिक ताकतों के हाथ में चली गई."

रेल मंत्री गुलाम अहमद बिलौर की पार्टी और देश की सरकार ने उनके बयानों से खुद को अलग कर लिया है. हालांकि राजनीतिक जानकार रसूल बख्श रायस कहते हैं कि यह इस बात का एक और सबूत है कि राजनेता धार्मिक भावनाओं से फायदा उठाने की कोशिश में हैं. रायस ने इनाम के प्रस्ताव पर कहा, "यह बयान बताता है कि कथित सेक्यूलर और उदार राजनेता घरेलू राजनीति के लिए इस्लाम का इस्तेमाल कर रहे हैं."

Demonstration gegen Anti-Mohammed-Film in Pakistan
तस्वीर: dapd

बिलौर की अवामी नेशनल पार्टी पर कट्टरपंथी धार्मिक गुटों का दबाव बहुत ज्यादा है. एएनपी उत्तर पश्चिम के खैबर पख्तूनख्वाह में सत्ता पर काबिज है. इन इलाकों में तो पश्चिमी देशों के लिए लोगों के दिल में पहले से ही बहुत गुस्सा है. असकरी का कहना है कि इनाम का एलान यह बताता है कि सामान्य रूप से धर्मनिरपेक्ष नजर आने वाले एएनपी भी किसी दूसरी पार्टी की तरह ही कभी भी कट्टरपंथी बन सकती है.

हालांकि रायस ने यह चेतावनी भी दी कि मुख्यधारा की पार्टियों का धार्मिक रुढ़ीवादियों का समर्थन लेने की कोशिश कामयाब होगी, इसके आसार कम हैं साथ ही इसमें जोखिम बहुत है. रायस ने कहा, "इससे धार्मिक उन्माद को बढ़ावा मिलेगा और लंबे समय के लिए देश में शांति और स्थिरता को इससे खतरा हो सकता है. इस तरह के तत्वों की निंदा की जानी चाहिए."

पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक आमसभा में भाषण देने वाले हैं और ऐसे में यह इनाम उन्हें नजरें नीची करने पर विवश कर सकता है. नजम सेठी का कहना है कि पाकिस्तान में कुछ ही महीनों बाद आम चुनाव होने हैं. इस बार अमेरिका के खिलाफ लोगों का गुस्सा पाकिस्तान में पहले के किसी भी चुनाव से बहुत ज्यादा है और ऐसे में सरकार इस मौके का इस्तेमाल अपनी लोकप्रियता बढ़ाने में कर रही है.

एनआर/एजेए (एएफपी)

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