भारतीय दूतावासों की बेवसाइट बनीं हैकर्स का निशाना
९ नवम्बर २०१६भारतीय अधिकारी यूरोप और अफ्रीका में अपने दूतावासों की वेबसाइटों को ठीक करने में लगे हैं. खबर है कि सात ऐसी वेबसाइटें साइबर हैकिंग का निशाना बनाई गई हैं और हैकरों ने कई भारतीयों के बारे में संवेदनशील जानकारी ऑनलाइन जारी कर दी है.
इटली, स्विट्जरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मालावी, माली, लीबिया और रोमानिया के भारतीय दूतावासों की वेबसाइटों पर हैकर्स ने हमला किया. मीडिया में इन हैकरों ने अपनी पहचान 'कापुट्स्की' और 'कासीमिएर्स एल' के रूप में जाहिर की है.
साइबर हैकिंग की वारदात पर पर चिंता जताते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, "हम इस समस्या से अवगत हैं और इसे निबटाने के प्रयास कर रहे हैं."
जांचकर्ताओं ने हैकरों के आईपी अड्रेस को ट्रैक करने की कोशिशें की हैं. इन हैकरों ने जिन लोगों के डाटा चुराकर ऑनलाइन डाल दिए उनमें दूतावास में काम करने वाले कई लोगों के नाम, ईमेल पते, फोन नंबर और पासपोर्ट नंबर भी शामिल हैं.
इस साल कई भारतीय बेवसाइटों की हैकिंग की घटनाएं सामने आई हैं. साइबर हमले काफी आम हो गए हैं.
इसी साल अक्टूबर में पाकिस्तान के कई हैकर्स ने 7,000 से भी अधिक भारतीय बेवसाइटों को निशाना बनाया था. यह साइबर हमले तब हुए जब भारत ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी शिविरों पर हमला करने का दावा किया था.
अक्टूबर में ही भारत के करीब 32 लाख डेबिट कार्डों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी, जब हैकर्स ने बैंकों के एटीएम नेटवर्क में मालवेयर डाल दिया था. मालवेयर ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जो किसी कंप्यूटर के सिस्टम में गड़बड़ी करने के मकसद से ही डिजाइन किए गए हों.
बैंक डाटा की हैकिंग मई से जुलाई के महीनों में हुई लेकिन इसका पता सितंबर में जाकर लगा. अक्टूबर में बैंकों ने तय किया कि वे सभी प्रभावित बैंक खातों के कार्ड वापस लेंगे और उन्हें बदला जाएगा. दुनिया भर में बैंकिंग सैक्टर पर हैकिंग, फिशिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा मंडरा रहा है. 2016 की शुरुआत में ही बांग्लादेश बैंक इसका निशाना बना था, जब उससे 1 अरब डॉलर चुराने की कोशिश की गई और अंतत: साइबर चोर 8.1 करोड़ डॉलर चुराने में कामयाब भी हो गए.
आरपी/एके (एपी)