भारत और चीन से अमेरिकी नौकरियों को खतरा
१ जुलाई २०११फिलाडेल्फिया में एक सभा में बोलते हुए ओबामा ने कहा कि लंबे समय तक अमेरिका में माना जाता रहा कि ग्राहकों के संरक्षण और वातावरण के संरक्षण में कमी कर और करोड़पतियों तथा अरबपतियों को करों में छूट देकर आर्थिक समस्या से निपटा जा सकता है.
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि लगभग दस साल से इसी रास्ते पर चला गया, और यह काम भी करता रहा. बदली हुई हालत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में अमेरिका को अच्छी नौकरी पाने के लिए चीन, भारत या ब्राजील जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है.
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि उन्हें व्यवसाय और मुक्त बाजार में विश्वास है. लेकिन उनका यह भी मानना है कि देश के हर बच्चे को मौका मिलना चाहिए. उनका मानना है कि वयोवृद्ध नागरिकों को सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन बसर करने का मौका मिलना चाहिए, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में निवेश होना चाहिए, देश में बेहतरीन संरचना होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने काफी मात्रा में उस धन का खर्च किया है, जो उसके पास नहीं है. ऐसे वादे किए गए हैं, जिन्हें निभाना मुश्किल है. और अमेरिकी परिवारों की तरह सरकार को भी अपनी आमदनी के मुताबिक खर्च करना होगा.
राष्ट्रपति ओबामा का कहना था कि सिर्फ रोड, ब्रिज और नहर बनाना काफी नहीं है. वे चाहते हैं कि देश में बेहतरीन ब्रॉडबैंड और इलेक्ट्रिक ग्रिड भी हो. उन्होंने कहा कि घाटे से न निपटना भविष्य को दांव पर रखना है. लेकिन घाटे से निपटने के लिए विकास व नए रोजगारों में निवेश न करना भी भविष्य को दांव पर रखना होगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: महेश झा