भारत की मंगल उड़ान
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए मंगलवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से मंगल ग्रह के लिए मंगलयान प्रक्षेपित किया. मंगलयान पर और जानकारी तस्वीरों में..
अपने ताजा मिशन के साथ भारत ने अपना तकनीकी कौशल साबित कर दिखाया है. इस अभियान के तहत मंगल ग्रह पर मीथेन की संभावना को तलाशा जाएगा. मीथेन को पृथ्वी पर जीवन के लिए अहम माना जाता है. सैटेलाइट लाल ग्रह पर विज्ञान प्रयोग करेगा साथ ही मंगल की सतह का अध्ययन करेगा.
मंगल मिशन के लिए भारत ने करीब 450 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह बोइंग 787 के निर्माण पर होने वाली लागत का आधा हिस्सा है. अनौपचारिक तौर पर मिशन का नाम मंगलयान है. 300 दिन की यात्रा के बाद मंगलयान 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा. मंगल ग्रह तक जाने के लिए इसे करीब 78 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करेगा.
मंगल मिशन में अगर भारत कामयाब होता है तो वह उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा जिन्होंने मंगल पर यान भेजा है. अब तक रूस, अमेरिका और यूरोप ने ही मंगल पर मिशन भेजा है. मिशन सफल होने पर भारत एशिया का पहला देश बन जाएगा.
मंगल पर पहुंचना आसान नहीं. दुनिया भर में अब तक 40 में 23 कोशिशें नाकाम साबित हुईं हैं. 1999 में जापान और 2011 में चीन का मिशन असफल रहा.
15 अगस्त, 2012 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान मंगलयान योजना की घोषणा की थी. यह घोषणा चीन और रूस की मंगल पर मिशन भेजने की असफल कोशिश के बाद की गई थी. जानकारों ने सवाल उठाए थे कि क्या दिल्ली और बीजिंग के बीच अंतरिक्ष की दौड़ शुरू हो रही है.
भारत सालाना एक अरब डॉलर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर खर्च करता है. भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत सैटेलाइट, संचार और रिमोट सेंसिंग तकनीक का विकास किया है जिसकी मदद से तटीय इलाकों में मिट्टी का कटाव, बाढ़ और वन्यजीव अभयारण्यों की देखरेख में सहायता मिलती है.
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी 2016-17 में चांद पर दूसरा मिशन भेजना चाहती है. इसरो मानव को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है. सरकार से स्वीकृति का इंतजार है.