भारत जापान का समुद्री सहयोग
२८ मई २०१३चार दिनों की यात्रा के दौरान सिंह ने कहा कि यह देखना जरूरी है कि समुद्री रास्ता खुला हो और सुरक्षित भी, ताकि मध्य पूर्व से तेल का आयात ठीक ढंग से किया जा सके. उन्होंने कहा, "भारत का जापान के साथ रिश्ता अहम सिर्फ आर्थिक वजहों से नहीं है, बल्कि हम यह भी देखते हैं कि इलाके में शांति और स्थायित्व के लिए जापान हमारा सहयोगी है."
भारत ने हाल के दिनों में जापान और दूसरे एशियाई देशों के साथ दोस्ती बढ़ाई है. समझा जाता है कि चीन की शक्ति को संतुलित करने के लिए भारत का यह कदम कारगर हो सकता है. चीन और पाकिस्तान के बीच बहुत अच्छे रिश्ते हैं. भारत और जापान कई बार कह चुके हैं कि समुद्री रास्ते में खतरे की वजह से उनके ईंधन की आपूर्ति को भी खतरा हो सकता है.
जापान के अखबार निहोन काइजाई शिनबुन ने रिपोर्ट दी है कि टोक्यो और नई दिल्ली उस समझौते पर राजी होते दिख रहे हैं, जिसके तहत भारत पानी में उतर सकने वाले जापान में बने वायु यान को खरीदेगा.
सिर्फ दो दिन पहले चीन के प्रधानमंत्री ली केचियांग ने भारत का दौरा किया है और दोनों मुल्कों ने मिल कर चलने की बात कही है ताकि क्षेत्र में शांति बनाई जा सके. भारत का दावा है कि चीन की सेना उसके इलाके में घुस आई है.
जापान यात्रा के दौरान सिंह ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि "भारत और जापान लोकतंत्र, स्वतंत्रता और शांति के लिए मिल कर काम करना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि दोनों देश एक जैसे खतरों से जूझ रहे हैं. दूसरी बातों के अलावा भारत चाहता है कि जापान उसके साथ परमाणु समझौता करे, ताकि उसके ईंधन की आपूर्ति हो सके. भारत ने आने वाले सालों के लिए महत्वाकांक्षी परमाणु योजना बनाई है.
प्रधानमंत्री शिनजो आबे जापान की परमाणु तकनीक को तत्परता के साथ बेचना चाहते हैं, ताकि देश का निर्यात बढ़ सके. वह एशिया और मध्य पूर्व को बड़ा बाजार समझते हैं. इसी महीने भारत और जापान ने आर्थिक सहयोग और निवेश के समझौते पर दस्तखत किए हैं. इस समझौते के तहत नई दिल्ली और मुंबई तथा चेन्नई और बैंगलोर के बीच आर्थिक गलियारे बनाए जाएंगे. दोनों देशों के बीच बेहतर सैनिक सहयोग की भी चर्चा हो सकती है.
एजेए/एमजी (एपी)