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भारत में बनेंगे हाइटेक पासपोर्ट

कुलदीप कुमार, नई दिल्ली१९ दिसम्बर २००८

भारत 2010 तक बायोमीट्रिक पासपोर्ट प्रणाली अपना लेगा. विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने यह जानकारी राज्यसभा में दी. बायोमीट्रिक पासपोर्ट में पासपोर्ट धारक की अंगुलियों के निशान तथा अन्य शारीरिक विशेषताओं की जानकारी होती है.

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बायोमीट्रिक पासपोर्ट बनेंगेतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस तरह का नकली पासपोर्ट बनाना आसान नहीं है और एक ही व्यक्ति अलग अलग नामों से एक से अधिक पासपोर्ट भी नहीं बनवा सकता.

प्रणब मुखर्जी ने राज्यसभा में कहा कि बायोमीट्रिक पासपोर्ट प्रणाली शुरू करने के सम्बन्ध में सभी प्रक्रियाएं साल 2010 तक पूरी कर ली जाएंगी. इसके ज़रिये मानव तस्करी को रोका जा सकेगा. मुखर्जी ने कहा कि मानव तस्करी के अवैध धंधे में लगे लोगों और श्रमिकों की भर्ती करने वाली एजेंसियों के बीच साठ गांठ होती है. भारतीय श्रमिक अधिक पैसा कमाने के लालच में इनके जाल में फंस जाते हैं और फिर विदेशों में शोषण और उत्पीडन का शिकार होते हैं.

आतंकवाद रोकने में भी बायोमीट्रिक पासपोर्ट प्रणाली बहुत कारगर सिद्ध हुई है. अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों समेत अनेक देशों ने यह प्रणाली अपनाई है और इसके ज़रिये अवांछित तत्वों को अपने यहां आने जाने से रोकने में सफलता पाई है. केंद्रीय पासपोर्ट संगठन पिछले दो साल से बायोमीट्रिक पासपोर्ट प्रणाली विकसित करने की दिशा में सक्रिय है.

जर्मनी में भारत के पूर्व राजदूत टीसीए रंगाचारी ने कहा कि अंगुलियों के निशान और आंख के रेटिना आदि की जानकारी होने के कारण बायोमीट्रिक पासपोर्ट निस्संदेह बेहतर है और इसकी नक़ल करना भी अधिक मुश्किल है. लेकिन जब लोग नकली करेंसी बना लेते हैं तो आख़िरकार नकली बायोमीट्रिक पासपोर्ट भी बना ही लेंगे. जहां तक साल 2010 तक इसे लागू करने की बात है तो यह एक अत्यन्त महत्वाकांक्षी लक्ष्य है क्योंकि हर साल भारत सरकार आठ-नौ लाख पासपोर्ट जारी करती है.

देश भर में लगभग 40 पासपोर्ट कार्यालय हैं जिनमें कुछ काफ़ी छोटे हैं. दो साल के भीतर सब जगह आवश्यक उपकरण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो जायेंगी, यह काफ़ी कठिन लगता है.