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भारत में रेगिस्तान होती ज़मीन

६ जनवरी २०१०

भारत में ज़मीन में एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तान में तब्दील हो रहा है. एक ताज़ा स्टडी में यह दावा किया गया है. भारत के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और करंट साइंस जर्नल के मुताबिक़ बंजर हो रही जमीन इससे भी ज़्यादा है.

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रेगिस्तान का फैलता दायरातस्वीर: AP

स्पेस एप्लीकेशन की स्टडी सैटेलाइट से मिली तस्वीरों पर आधारित है जो दिखाती हैं कि भारत की 32 प्रतिशत जमीन तेज़ी से बंजर हो रही है. यानी उसकी उपजाऊ शक्ति ख़त्म होती जा रही है. राजस्थान, कश्मीर, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य इस समस्या से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. देश की एक चौथाई ज़मीन या तो पहले से ही रेगिस्तान है या रेगिस्तान में बदल रही है.

कुछ जानकार भारत में बंजर होती जमीन की मुख्य वजह ग्लोबल वॉर्मिंग को मानते हैं, तो वहीं दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ इनवायर्मेंट स्टडीज़ के डीन कृष्ण गोपाल सक्सेना इस समस्या के लिए स्थानीय वजहों को कहीं ज्यादा ज़िम्मेदार बताते हैं.

इंसान जाने अंजाने कई तरह प्रकृति को नुक़सान पहुंचा रहा है. ज़रूरत से ज़्यादा रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल एक ही फ़सल उगाते रहने, पेड़ों की ग़ैरकानूनी कटाई और ख़राब जल प्रबंधन, वे वजहें हैं जिनके चलते जमीन ख़राब हो रही है. इसके लिए विभिन्न लोग जिम्मेदार हैं. सक्सेना कहते हैं, "एक तरफ उद्योगपति हैं तो दूसरी तरफ ग़रीब लोग हैं. अगर आप असल वजहों को तलाशते हैं तो निश्चित तौर पर बंजर ज़मीन की क़ीमत को सामान्य अर्थव्यवस्था में शामिल नही किया जाता. बात उद्योग की करें तो हर कोई यह देखता है कि शुद्ध मुनाफ़ा कितना हुआ, यह कोई नहीं देखता कि उसकी वजह से पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ."

ज़मीन ख़राब होने से इको सिस्टम यानी पर्यावरण तंत्र की प्राकृतिक संभावनाएं भी सिमटी हैं और इसका लोगों पर सीधा असर पड़ता है. इसकी वजह से भोजन की क़िल्लत होती है और दूसरी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. आशीष मजुमदार कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ़ वाटर रिसोर्सेस इंजीनियरिंग के डायरेक्टर हैं. वह कहते हैं जमीन का रेगिस्तान में तब्दील होना बहुत खतरनाक समस्या है क्योंकि जो ज़मीन एक बार रेगिस्तान बन गई उसे वापस सही अवस्था में नहीं लाया जा सकता.

मजुमदार का कहना है कि भारत सरकार ज़मीन के रेगिस्तान में तब्दील होने की समस्या को बेहद गंभीरता से ले रही है. वह कहते हैं, "उन्होंने ज़मीन के रेगिस्तान बनने की समस्या से निपटने पर ध्यान देने की कोशिश की है. ख़ासकर जो इलाक़े अभी इस समस्या के शिकार नहीं बने हैं उन्हें कैसे इससे बचाया जा सकता है."

ज़मीन का बंजर होना बेशक एक बेहद गंभीर समस्या है. कृष्ण गोपाल सक्सेना कहते हैं कि इस दिशा में कई सकारात्मक रूझान देखने को मिले हैं. उनके मुताबिक़, "इस बात में शक नहीं कि ज़मीन बंजर हो रही है. कई जगह आपको बंजरपन मिलेगा, कई जगह वह जमीन ठीक होती दिखेगी. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बंजर होने वाले ज़मीन फिर से ठीक होने वाली ज़मीन से कहीं ज़्यादा है. लेकिन इसी बीच कुछ सकारात्मक संकेत भी दिख रहे हैं. अगर आप भारतीय वन सर्वेक्षण की ताज़ा रिपोर्ट देखें तो वह बताती है कि देश में वनों के क्षेत्रफल में सुधार हुआ है."

जानकार मानते हैं कि रेगिस्तान होती ज़मीन की तरफ ध्यान दिया जा सकता है, ख़ासकर इसके लिए जल प्रबंधन को प्रभआवी बनाना होगा. इस बारे में अध्ययन हो रहे हैं कि किस तरह कम पानी खाने वाली फ़सलों से ज़मीन को बंजर होने से बचाया जा सकता है. पर्यावरणविद् कहते हैं कि इसके लिए खेती बाड़ी के लिए आधुनिक तरीकों और नई नई तकनीकों के बारे में जागरुकता फैलाने की भी जरूरत है.

देबारथी मुखर्जी (संपादनः ए कुमार)