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"भारत से टकराव के रास्ते पर श्रीलंका"

१२ जून २०११

श्रीलंका ने भारत से साफ कहा है कि वह अपने तमिल इलाकों में जमीन पर नियंत्रण और पुलिस से जुड़े अधिकार किसी सूरत में प्रांतीय परिषदों को नहीं देगा. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका भारत से टकराव के रास्ते पर है.

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In this photo provided by Sri Lankan President's office, Sri Lankan President Mahinda Rajapaksa, left, shares a light moment with India's National Security Adviser M. K. Narayanan, second right, and Indian Foreign Secretary Shivshankar Menon, right, during their meeting in Colombo, Sri Lanka, Thursday, May 21, 2009. Aid groups and the U.N. appealed to be allowed to survey the aftermath of the final battle of Sri Lanka's civil war and pushed for unfettered access to some 280,000 Tamils displaced from the former combat zone. (AP Photo/President's office, HO)
तस्वीर: AP

भारत चाहता है कि श्रीलंका लंबे समय से चली आ रही तमिलों की जातीय समस्या के समाधान के लिए प्रांतीय परिषदों को अहम अधिकार दे. लेकिन शनिवार को श्रीलंका के दौरे पर गए भारत के उच्च प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने साफ कह दिया कि पुलिस और जमीन पर नियंत्रण से जुड़े अधिकार प्रांतीय परिषदों को नहीं दिए जाएंगे. ये परिषदें 13वें संविधान संशोधन के तहत बनाई गईं जो सत्ता के हस्तांतरण से जुड़ा है.

This Dec. 1, 2009 photo shows internally displaced Sri Lankan ethnic Tamil refugees coming out of camps for displaced persons in Manik Farm, Sri Lanka. On Tuesday, Sri Lanka allowed nearly 127,000 Tamil refugees to leave squalid and overrun government camps where they have been detained since the country's civil war ended six months ago, an official said. (AP Photo/Sanath Priyantha)
तस्वीर: AP

श्रीलंका का कड़ा रुख

संडे टाइम्स अखबार ने लिखा है, "प्रांतीय परिषदों को पुलिस और जमीन पर नियंत्रण से जुड़े अधिकार न देने के मामले में सरकार का रुख कड़ा है. इस तरह भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक रूप से टकराव की स्थिति पैदा होती दिख रही है."

श्रीलंका सरकार की तरफ से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है. राष्ट्रपति राजपक्षे ने शनिवार को भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन, विदेश सचिव निरुपमा राव और रक्षा सचिव प्रदीप कुमार के साथ नाश्ते पर मुलाकात की. इसके बाद कोई बयान जारी नहीं किया गया. इस मुलाकात के वक्त श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त अशोक कांत भी मौजूद थे.

बेअसर परिषद

मेनन ने कोलंबो स्थित भारतीय पत्रकारों को बताया कि श्रीलंका 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए शांति समझौते के नतीजे में हुए 13वें संशोधन पर अमल करेगा. संडे टाइम्स का कहना है कि राजपक्षे की सहयोगी पार्टी यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम अलाइंस प्रांतीय परिषदों को ज्यादा अधिकार देने के हक में बिल्कुल नहीं है. ये परिषदें वास्तविक तौर पर निष्प्रभावी हैं.

मेनन ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि श्रीलंका सरकार पहले ही संविधान संशोधन में सुधार के लिए राजी हो गई है और उम्मीद है कि उस पर अमल भी किया जाएगा. उन्होंने कहा, "जितनी जल्दी श्रीलंका सरकार तमिलों से जुड़ी समस्याओं का समाधान पेश करती है, उतना ही बेहतर होगा."

पिछले महीने भारत ने श्रीलंका पर अपना रुख उस वक्त कड़ा किया जब उसने पहली बार सार्वजनिक तौर पर कथित तौर पर मानवाधिकारों के हनन की जांच और इमरजेंसी खत्म करने को कहा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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