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भारी तबाही फैलाने के बाद कमजोर पड़ा लैला

२१ मई २०१०

समुद्री तूफान लैला से आंध्र प्रदेश में सात लोग मारे गए हैं. राज्य के तटीय इलाकों में तूफान के कारण एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब गया है. यातायात, बिजली और संचार व्यवस्था चरमरा गई है. हालांकि लैला कमजोर पड़ चुका है.

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तस्वीर: DW

राज्य के आपदा प्रबंधन अधिकारियों के मुताबिक श्री पोट्टी श्रीरामुलु जिले में तीन, पूर्वी गोदावरी में दो और कृष्णा व विजयनगरम में एक एक व्यक्ति की मौत हुई है. तूफान से गुंटूर जिले के बापटला इलाके में भूस्खलन हुआ. जिले में भारी बारी भी हुई है. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान प्रकाशम जिले में बताया जा रहा है. ओंगल कस्बे में जिला मुख्यालय जलमग्न हैं. वहां बुधवार रात से 12 घंटों में 34 सेंटीमीटर बारिश हुई है.

भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा कार्रवाई बल की टीमों को ओंगल जाने का निर्देश दिया है. वैसे आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि हेलीकॉप्टर राहत और बचाव के कामों में हिस्सा नहीं ले सकते हैं क्योंकि मौसम ठीक नहीं है. जिले में संचार संपर्क ठप हो गए हैं जबकि सड़क यातायात भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

तूफान के कारण बिजली की लाइनों और ट्रांसफार्मरों को काफी नुकसान हुआ है, इसलिए 11 कस्बों के अलावा सैकड़ों गांव अंधरे में डूबे हैं. तटीय जिलों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 150 से ज्यादा मवेशियों की मौत हो गई है. कृष्णा, गुंटूर और पश्चिमी गोदावरी जिलों में धान की फसल को भी बहुत नुकसान हुआ जिससे किसान घबराए हुए हैं. राज्य के श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तम और पश्चिमी गोदावरी जिलों में कहीं कहीं बारिश हुई है तो पूर्वी गोदावरी, कृष्णा और नेल्लोर में भी हल्की बारिश होने की खबर है.

Rita über die Bahamas
उड़ीसा की तरफ बढ़ा लैलातस्वीर: AP

लैला के कमजोर पड़ने के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री के रोसैय्या ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक तूफान पूरी तरह चला नहीं जाता है, वे पूरी सतर्कता बनाएं रखें. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अधिकारियों के साथ स्थिति का जायजा लिया है. तूफान के कारण दक्षिण केंद्रीय रेलवे की 51 ट्रेनों पर असर पडा है जिसमें से दो को रद्द भी करना पडा है. अधिकारियों के मुताबिक कुछ रेलगाडियों के रास्ते भी बदले गए हैं. गुरुवार को मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले 12 घंटों में आंध्र प्रदेश में भारी से मूसलाधार बारिश हो सकती है.

उधर लैला के कमजोर पड़ने के बाद मौसम विशेषज्ञों को उम्मीद है कि मॉनसून पर इसका बहुत कम असर पड़ेगा. पृथ्वी विज्ञान मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, "हम अब भी मॉनसून को लेकर पहले के पूर्वानुमान के मुताबिक ही चल रहे हैं. इस साल मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीद है जो 30 मई तक केरल पहुंच सकता है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह