भारी बमबारी के बाद अब शांत है इदलीब
६ मार्च २०२०इदलीब में बीते तीन महीनों की लड़ाई में कम से कम 10 लाख लोग बेघर हुए है. गुरुवार को मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तुर्की के प्रधानमंत्री रेचप तैयप एर्दोवान के बीच चली लंबी बातचीत के बाद आखिरकार युद्धविराम का एलान हुआ.
इलाके के बाशिंदों और लड़ाकों का कहना है कि मुख्य मोर्चे पर एक तरफ रूसी और सीरिया के हवाई हमले चल रहे थे और दूसरी तरफ तुर्की ड्रोन और टैंक से मुकाबला कर रहा था. युद्धविराम का घोषित वक्त शुरू होने के कुछ घंटों बाद हमले थम गए और खामोशी फैल गई.
चश्मदीदों का कहना है कि मशीनगनों और मोर्टार से छिटपुट गोलीबारी की आवाजें आई हैं. हालांकि यह उत्तर पश्चिमी अलेप्पो और दक्षिणी इदलीब के कुछ मोर्चों की तरफ से आई हैं जहां असद की सेना और इरानी मिलीशिया ने मोर्चा संभाल रखा है.
दूसरे इलाकों में लड़ाई फिलहाल थम गई है. विपक्षी नेता इब्राहिम अल इदलीबी विद्रोही लड़ाकों के संपर्क में हैं. उनका कहना है, "शुरुआती घंटों में लड़ रहे सभी पक्षों की ओर हमने बेहद तनावपूर्ण शांति देखी. हर कोई इस से वाकिफ है कि किसी भी तरफ से उल्लंघन का करारा जवाब आएगा. लेकिन यह युद्धविराम बहुत नाजुक है."
सीरिया के सरकारी मीडिया ने ताजा युद्धविराम संधि के बारे में खबर नहीं दी है. विपक्षी नेता इसके जारी रहने पर आशंका जता रहे हैं क्योंकि इसमें तुर्की की मुख्य मांग को शामिल नहीं किया गया है और इस वजह से इसकी आलोचना भी हो रही है. तुर्की चाहता है कि सीरियाई सेना इदलीब में तय हुए बफर जोन से बाहर निकल जाए. इस बफर जोन पर रूस और तुर्की ने 2018 में सोची में हुई बैठक में सहमति बनाई थी.
इस बार दोनों नेता एम4 हाइवे के पास एक सुरक्षित कॉरिडोर बनाने पर रजामंद हुए हैं जो इदलीब के पूर्वी हिस्से से लेकर पश्चिमी हिस्से तक जाएगा. 15 मार्च से यहां दोनों और के सैनिक संयुक्त रूप से गश्त लगाएंगे.
उत्तरपश्चिम में मौजूद हाइवे पर नियंत्रण हासिल करना सीरिया के लिए रूस समर्थित अभियान का सबसे बड़ा लक्ष्य रहा है. विद्रोही लड़ाकों को इसी हाइवे से खुराक मिलती रही है. युद्ध से पहले प्रतिबंधों में घिरने के बाद सीरिया की अर्थव्यवस्था की जो दुर्गति हुई है उससे निबटने के लिए उसे इस मार्गों की जरूरत है.
असद के विरोधियों की इच्छा के उलट तुर्की और रूस के बीच हुई संधि में सेफ जोन का जिक्र नहीं है. लाखों की तादाद में शरणार्थियों को इसी सेफ जोन में रखने की योजना थी ताकि वहां से उन्हें उनके घरों तक वापस भेजा जा सके. ये लोग रूस समर्थित हमलों की वजह से अपना घर छोड़ कर भाग आए हैं.
सीरिया की सरकारी सेना से बगावत कर विद्रोहियों में शामिल हो चुके भूतपूर्व जनरलअहमद रहाल का कहना है, "किसी ने भी सेफ जोन या फिर ऐसे इलाके की बात नहीं की जहां से सेना हटाई जाएगी. जब सेना हटेगी नहीं तो फिर विस्थापित कहां जाएंगे. वो शासन के अधीन वाले इलाकों में जाने के लिए तैयार नहीं होंगे. आज जो हम सुन रहे हैं उसमें राहत की कोई बात नहीं है."
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि हमलों की वजह से करीब 10 लाख लोग बेघर हुए हैं और बीते 9 साल से चली आ रही जंग में यह सबसे बड़ा पलायन है.
रहाल ने बताया कि सीरिया की सीमा पर और उसके भीतर तुर्की बड़ी सेना तैनात कर रहा है और उसके हिसाब से नतीजे नहीं आए हैं. सीरिया के विद्रोही लड़ाकों का कहना है कि तुर्की ने करीब 15000 सैनिकों को तैनात किया है ताकि रूस समर्थित हमलों के बाद इदलीब में बढ़ रही सेना को रोका जा सके. इदलीब में कई युद्धविराम हुए हैं लेकिन रूस समर्थित सेनाओं के आगे बढ़ने के बाद वो सब टूट गए.
एनआर/ओएसजे(रॉयटर्स)
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