भारी बहुमत से जीते प्रणब
२२ जुलाई २०१२
राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद प्रणब मुखर्जी ने देश के सर्वोच्च पद पर चुनने के लिए लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि संविधान की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी होगी. उन्होंने कहा कि वे लोगों के भरोसे को उचित ठहराने की कोशिश करेंगे. उन्होंने विरोधी उम्मीदवार पीए संगमा से मिली बधाई के लिए आभार व्यक्त किया.
बीजेपी समर्थित उम्मीदवार संगमा ने चुनाव जीतने पर प्रणब मुखर्जी को बधाई दी और उनकी सफलता की कामना की. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि देश ने आदिवासियों के साथ एकजुटता दिखाने का सुनहरा मौका खो दिया है.
मतदान में 748 सांसदों ने हिस्सा लिया. मुखर्जी को 527 और बीजेपी के समर्थन से लड़ रहे पीए संगमा को 206 वोट मिले. निर्वाचन मंडल के संसदीय क्षेत्र में प्रणब मुखर्जी को 3,73,116 वोट मिले. मुखर्जी के एकमात्र प्रतिद्वंद्वी पीए संगमा को मिले वोटों को मूल्य 1,45,848 है. 19 जुलाई को हुए मतदान में पड़े 15 वोट अमान्य करार दिए गए जिसमें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का भी वोट है.
मुलायम सिंह यादव के वोट को चुनाव आयोग ने अमान्य कर दिया क्योंकि उन्होंने मतदान में गोपनीयता के नियम का उल्लंघन किया था. पहले उन्होंने संगमा के लिए निशान लगा दिया लेकिन जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो दूसरा बैलट लेकर प्रणब मुखर्जी के पक्ष में मत डाला.
मुखर्जी को पूर्वोत्तर के प्रांत अरुणाचल प्रदेश में भी भारी बहुमत मिला है. वहां डाले गए 59 वोटों में से उन्हें 54 मिले. मुखर्जी को मिले वोटों का मूल्य वहां 432 है जबकि संगमा को मिले वोटों का 16. तीन वोट को अमान्य करार दिये गए.
126 सदस्यों वाली असम विधान सभा में मुखर्जी को 110 वोट मिले तो संगमा को 13 वोटों से संतोष करना पड़ा. दो वोट अमान्य हुए और एक ने वोट नहीं दिया. आंध्र प्रदेश में 294 विधायकों में से 190 ने मतदान किया. उनमें से 182 ने प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया जबकि संगमा को तीन विधायकों का समर्थन मिला. पांच वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया. टीडीपी और टीआरएस ने मतदान का बहिष्कार किया.
बिहार में 243 सदस्यों वाली विधान सभा में 240 लोगों ने वोट डाले. यहां नीतीश कुमार की जेडीयू पार्टी प्रणब मुखर्जी का समर्थन कर रही थी. मुखर्जी को 146 वोट मिले जबकि संगमा को 90 वोट मिले जिनमें से अधिकांश बीजेपी विधायकों के थे. तीन वोट अवैध थे और एक ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. हरियाणा के 90 विधायकों में से 53 ने मुखर्जी का समर्थन किया तो संगमा के पक्ष में 29 वोट गिरे. 8 वोटों को अवैध माना गया.
बीजेपी शासित प्रांतों गुजरात, छत्तीसगढ़ और गोवा में संगमा को बहुमत मिला. 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधान सभा में संगमा को 50 और मुखर्जी को 39 वोट मिले. 40 विधायकों वाले गोवा में संगमा को 31 और मुखर्जी को 9 वोट मिले. 182 सदस्यों वाली गुजरात एसेंबली में संगमा को 123 और मुखर्जी को 59 वोट मिले.
रविवार को भारी सुरक्षा के बीच नई दिल्ली में संसद भवन में वोटों की गिनती शुरू हुई. गिनती के समय मुखर्जी और संगमा के आधिकारिक प्रतिनिधि मौजूद थे. प्रतिनिधियों ने पहले मतपेटियों की जांच की कि उनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. मतपेटियों को ठीक पाने के बाद वोटों की गिनती शुरू हुई. सबसे पहले संसद के वोट गिने गए जिसके बाद प्रांतों के वोटों की गिनती हुई.
निर्वाचन कॉलेज में. 4,896 मतदाता हैं जिनमें 776 सांसद और 4,120 विधायक हैं. उन्होंने संसद और प्रांतीय विधान सभाओं में बनाए गए मत केंद्रों पर अपने वोट डाले. मत पेटियों को शनिवार को नई दिल्ली लाया गया और गिनती से पहले एक स्टोर रूम में सुरक्षित रखा गया.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सत्ताधारी यूपीए में शामिल पार्टियों के अलावा गठबंधन को समर्थन दे रही पार्टियों समाजवादी पार्टी, मायावती की बीएसपी, लालू यादव की आरजेडी और दूसरी छोटी पार्टियों ने प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया. उन्हें विपक्षी गठबंधन एनडीए की शिव सेना और जेडी(यू) का भी समर्थन मिला.
एमजे/ओएसजे (पीटीआई)