1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मंदी के मुहाने पर सहमे यूरोप और यूएस

२१ अगस्त २०११

शेयर बाजारों के लिए बीता सप्ताह बुरा रहा है और ऐसे में यूरोप और अमेरिका के नेता आने वाली मंदी की आशंका को टाल पाने में अभी से ही नाकाम से दिखने लगे हैं. जानकार मान रहे हैं कि इतिहास खुद को बहुत जल्द दोरहाने वाला है.

https://p.dw.com/p/12Kw5
तस्वीर: dapd

जानकारों की राय है कि वित्तीय बाजारों में डरे हुए ग्राहक और कारोबारी खर्च रोक रहे हैं. इसने महामंदी के महज दो साल बाद ही एक और मंदी की ओर दुनिया को धकेलना शुरू कर दिया है. सरकारों पर बॉन्ड बाजारों का दबाव है ही, साथ में खर्च घटाने के लिए राजनीतिक दबाव भी है. ऐसे में बाजार की निराशा को दूर करने के लिए उनके हाथ में भी ज्यादा कुछ नहीं है.

पिछले हफ्ते निराशा की तस्वीर में कुछ और रंग शामिल हुए हैं. नए आंकड़े बता रहे हैं कि दूसरी तिमाही में यूरोजोन की विकास दर 0.2 फीसदी रही और जर्मनी में तो महज 0.1 फीसदी. मॉर्गन स्टैनले और दूसरी आर्थिक एजेंसियां यह चेतावनी दे चुकी हैं कि नई मंदी सबसे बुरा हाल अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्था का करेगी. इसी हफ्ते यूरोजोन के कर्ज संकट को दूर करने के लिए बुलाई गई बैठक में यूरोप और फ्रांस के नेता कोई रास्ता निकालने में नाकाम रहे. इन सब बातों ने बाजार की कमर तोड़ी है और सुधार के रास्ते बंद किए हैं.

Währung Wechselkurs
तस्वीर: picture alliance/dpa

सहमा हुआ है शेयर बाजार

पिछले हफ्ते में अमेरिकी शेयरों के एसएंडपी 500 इंडेक्स में 4.7 फीसदी की कमी आई और आर्थिक संकट के सामने आने के बाद से यह 15.7 फीसदी तक नीचे जा चुका है. इसी तरह ब्रिटेन का एफटीएसई 100 एक महीने में 12.9 फीसदी नीचे गया है. फ्रांस का सीएसी 40 18.4 फीसदी नीचे गया है और जर्मनी के डैक्स को तो और करारी चोट पहुंची है. एक महीने में 23.8 फीसदी और बीते हफ्ते 9.8 फीसदी. शेयर बाजारों की इस गिरावट ने कागजों पर खरबों डॉलर की संपत्ति का निशान मिटा दिया है. लोग अपना पैसा शेयर बाजार से निकाल कर दूसरे सुरक्षित निवेशों में लगा रहे हैं. इनमें अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड, स्विस फ्रैंक्स, जापान का येन और कुछ दूसरे निवेश हैं. मतलब साफ है कि यह पैसा अर्थव्यवस्था को किसी भी रूप में मदद करने नहीं जा रहा है.

अटलांटिक के दोनों तरफ के अर्थशास्त्रियों ने अपने विकास के अनुमानों को घटा दिया है. इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनले का कहना है, "हमारे बदले अनुमान बताते हैं कि अमेरिका और यूरोजोन खतरनाक रूप से मंदी के करीब आ गए हैं. निगेटिव फीडबैक लूप, कमजोर विकास और लचर संपत्ति बाजार अब यूरोप और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की परिभाषा गढ़ रहे हैं. इसके बाद अमेरिका और यूरोप में होने वाली आर्थिक सख्ती हालात को और ज्यादा बिगाड़ेगी." इसी तरह वेल्स फार्गो बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री जॉन सिल्विया कहते हैं, "यूरोपीय सेंट्रल बैंक, फेडरल रिजर्व और अमेरिकी सरकार की तरफ से उचित नीतियों के अभाव है. ऐसे में बहुत मुमकिन है कि नीचे की ओर जाती मौजूदा बाजार की गिरावट आने वाले समय में अपने आप को और मौजबूत करे."

Proteste Madrid 2011
तस्वीर: dapd

नीतियों का बोझ

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकारें और केंद्रीय बैंक नीतियों के डब्बे में बंद हैं. यूरोप और अमेरिका में ब्याज दर काफी नीचे है और अब विकास को तेज करने के लिए और नीचे नहीं जा सकता. सेंट्रल बैंक नीतियों को दुरूस्त करके बैंकों पर बाजार में और पैसा डालने के लिए दबाव बना सकता है लेकिन ये साफ नहीं है कि इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. यूरोप में ग्रीस, पुर्तगाल और आयरलैंड को दिए राहत पैकेज ने पहले से ही अमीर देशों, राजनेताओं और लोगों पर बाजार में और ज्यादा पैसा डालने के लिए दबाव बना दिया है. मुश्किल यह है कि उनके पास इसके लिए पैसा है ही नहीं. यूरोपीय सेंट्रल बैंक के पास यह अधिकार नहीं है कि वह कमी दूर करने के लिए मुद्रा छाप सके.

बीते मंगलवार फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के बीच हुई में दोनों नेताओं ने विकास और बेलआउट का पैसा जुटाने के लिए यूरोबॉन्ड जारी करने से इनकार कर दिया है. बाजार को इससे काफी निराशा हुई. इस बीच यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं पर इस बात के लिए दबाव बढ़ रहा है कि वह सरकारी घाटे के कम करने के लिए खर्च घटाएं. खासतौर से फ्रांस पर इसके लिए काफी ज्यादा दबाव है. अमेरिका की भी यही हालत है. यहां कुछ लोग मांग कर रहे हैं कि उद्योगों के विकास के लिए दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने कार्यक्रम की तर्ज पर नई योजना तैयार की जाए. इस कार्यक्रम ने देश को महामंदी के चंगुल से बाहर निकाला था.

Spanien Demonstration
तस्वीर: AP

5 अगस्त को एसएंडपी ने बढ़ते अमेरिकी घाटे को देख उसके साख की रेटिंग गिरा दी. उधर रिपब्लिकन सांसद खर्च में कटौती करने पर अमादा हैं. ऐसे में हालात तो खराब होने ही हैं. गोल्डमैन सैक्स बीते शुक्रवार को चेतावनी दे चुका है कि पहले से ही जिन कटौतियों की योजना बनी है उससे अगले साल जीडीपी में कम से कम एक फीसदी की गिरावट आएगी. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा अगले कुछ हफ्तों में कुछ सामान्य कदमों का एलान कर सकते हैं. फेडरल रिजर्व ने संकेत दिए हैं कि उसके पास विकास को तेज करने के लिए कुछ उपाय हैं और ऐसे में सबकी नजरें शुक्रवार को फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बेर्नाके के भाषण पर टिकी हैं. मुमकिन है कि इसमें वह अपनी नीतियों को सामने रखें.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें