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मणिपुर की महिलाओं में बढ़ता बॉक्सिंग का आकर्षण

२८ मई २०१०

पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद प्रभावित मणिपुर राज्य अक्सर गलत वजहों से सुर्खियों में रहा है. लेकिन यहां की युवितयां और महिलाएं अब पहली बार सकारात्मक वजह से राज्य ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही हैं.

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तस्वीर: AP

एम.सी.मेरीकाम और सरिता ने विश्व स्तर पर बॉक्सिंग में जो नाम कमाया है उसने राज्य की युवितयों में बाक्सिंग के प्रति आकर्षण बेहद बढ़ा दिया है.

कभी पुरुषों का खेल समझे जाने वाले बाक्सिंग के प्रशिक्षण के लिए अब किशोरियां और युवतियां ही नहीं बल्कि शादीशुदा महिलाएं भी आगे आ रही हैं. आखिर मेरीकाम ने भी शादी और जुड़वां बच्चों को जन्म देने के बाद बाक्सिंग रिंग में वापसी करते हुए चौथी बार विश्व चैंपियनशिप जीती थी.

मेरीकाम फिलहाल कजाखस्तान में हो रही विश्व महिला बाक्सिंग चैंपियनशिप में अपने जोरदार मुक्कों से प्रतिद्वंद्वियों को चित करती हुई आगे बढ़ रही हैं. और उनके गृह राज्य मणिपुर की राजधानी इंफाल में सैकड़ों युवितयां बाक्सिंग के गुर सीखते हुए मेरीकाम के पदचिन्हों पर आगे बढ़ रही हैं.

लेकिन महिलाओं के लिए बाक्सिंग की यह राह आसान नहीं थी. चार बार विश्व चैंपियन रही मेरीकाम अपनी आपबीती का जिक्र करते हुए कहती है कि शुरू में गांव वालों ने यह कहते हुए उनका काफी मजाक उड़ाया था कि एक लड़की बाक्सिंग करेगी. लेकिन इससे मेरे इरादे और मजबूत हुए. मैंने मन में ठान लिया कि एक दिन कुछ कर दिखाना है.

इंफाल में बाक्सिंग कोच नरजीत सिंह कहते हैं कि अब काफी तादाद में युवितयां बाक्सिंग सीखने के लिए आगे आ रही हैं. इस खेल का भविष्य काफी उज्जवल है. एक महिला बाक्सर ए.बी. थोंगाल कहती है कि सरकार को इस खेल को प्रोत्साहित करने के लिए आगे आना चाहिए. मणिपुर की महिलाएं विश्वस्तर पर अपनी छाप छोड़ सकती हैं.

महिलाओं में बाक्सिंग के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के बावजूद राज्य में आधारभूत सुविधाओं का बेहद अभाव है. कोई भी कार्पोरेट घराना मदद के लिए आगे नहीं आया है. उग्रवाद से जूझती सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की फुर्सत नहीं है. अगर समुचित प्रशिक्षण और सुविधाएं मिलें तो मणिपुर की युवितयां अपने मुक्कों से अपने प्रतिद्वंद्वियों को निश्चित ही धूल चटा सकती हैं.

रिपोर्टः प्रभाकर, इंफाल (संपादनः आभा मोंढे)