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मनुष्य की छवि वाला नकलची रोबोट

६ अप्रैल २०१०

कहते हैं कि मनुष्य ईश्वर की प्रतिछवि है. लगता है, मनुष्य इस बीच अपनी ईश्वरीय प्रतिछवि से या तो क्षुब्ध है या फिर इतना आत्ममुग्ध है कि वह अपनी ही तरह हंसने-बोलने वाले यंत्रमानव बना कर ईश्वर से होड़ करने लगा है.

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होंडा मोटर्स का मनुष्य जैसा असीमोतस्वीर: AP

रोबोट कहलाने वाले यंत्रमानव बनाने की इस कला में जापान इस समय सबसे आगे है. वहां के शोधकर्ताओं ने अब मनुष्य जैसा एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो अपने सामने वाले मनुष्य के चेहरे पर के हावभाव की हूबहू नकल उतार सकता है. उसे नाम दिया है जेमिनॉइड टीएमएफ़. यह रोबोट हमारी तरह हल्के हल्के मुस्करा सकता है, खुल कर हंस सकता है, भौहें तान सकता है या नाक-भौं सिकोड़ सकता है. रबर का बना उसका मनुष्यवत चेहरा वे सारे हावभाव दिखा सकता है जो हमारे चेहरे पर खेलते हैं, कहना है उसे बनाने वालों का.

ईश्वर के बनाये मनुष्य की प्रतिछवि वाले इस यंत्रमानव को शनिवार तीन अप्रैल के दिन ओसाका में सार्वजनिक तौर पर दिखाया गया. उसे ओसाका विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हिरोशी इशिगुरू और उनके सहयोगियों ने एक ऐसी यांत्रिक महिला के तौर पर बनाया है, जो अपने सामने खड़ी महिला-जैसे कपड़े पहनी है और उस महिला के चेहरे पर के हावभाव की नकल करती है. एक कैमरा सामने वाली महिला के चेहरे की छवि लेता रहता है, उन्हें विद्युत संकेतों में बदलता है और रोबोट के पास आगे बढ़ा देता है. रोबोट उसी के अनुसार अपने चेहरे पर की अभिव्यक्तियां बदलता रहता है.

यदि सामने वाली महिला हंसती है, तो रोबोट-महिला भी हंसती है. खिलखिलाती है, तो वह भी खिलखिलाती है. महिला की भौहें उठती हैं, तो रोबोट की भौहें भी उठती हैं. पत्रकारों के समक्ष इस प्रदर्शन के समय रोबोट के सामने वाली महिला ने कहा, "मुझे ऐसा लग रहा था, मानो सामने मेरी जुड़वां बहन खड़ी है."

एक ऐसे नकलची यंत्रमानव का क्या कोई व्यावहारिक उपयोग भी है? उसे बनाने वाले कहते हैं, है. उसे अस्पतालों में लोगों का मनबहलाव करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. देखा गया है कि उस के हंसने-मुस्कराने से रोगियों को आत्मिक संतुष्टि मिलती है. इसलिए जेमिनॉइड टीएमएफ़ के निर्माण में सहभागी कोकोरो नाम की कंपनी उसे आगे भी बनाने और 78 हज़ार यूरो में बेचने की सोच रही है.

रिपोर्ट- एएफ़पी, राम यादव

संपादन- उज्जवल भट्टाचार्य