ममता की लालगढ़ रैली पर संसद में बवाल
१० अगस्त २०१०लोकसभा में बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे ने अपनी बात रखते हुए कहा, "प्रधानमंत्री खामोश क्यों हैं. क्या रेल मंत्री के बयान के बाद भी केंद्र सरकार माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेगी. मंत्री ने तो कहा है कि ग्रीनहंट को रोका जाएगा." चरमपंथियों के साथ एक भाषा में बोलने के पर मुंडे ने ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया और कहा कि उनके मुताबिक तो माओवादी नेता आजाद की हत्या की गई है, तो क्या केंद्र सरकार इसकी सीबीआई जांच कराएगी.
बीजेपी के अलावा सीपीएम ने भी ममता पर माओवादियों के साथ साठगांठ रखने का आरोप लगाया और केंद्र सरकार से सफाई मांगी कि क्या लालगढ़ की रैली में माओवादी भी मौजूद थे. विपक्ष ने जिस तरह से सरकार को घेरा, उसके बाद शर्मिन्दगी से बचने के लिए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार कोई भी जवाब देने से पहले रेल मंत्री ममता बनर्जी से इस मुद्दे पर बात करेगी.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि हम आज देख रहे हैं कि माओवादियों के प्रति नीति पर सरकार में एकजुटता नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कई बार कह चुके हैं कि माओवादी देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. ऐसे में सभी मंत्रियों को एक नीति का पालन करना चाहिए, अलग अलग नहीं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कश्मीर मुद्दे से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स तक पर चुप्पी बनाए हुए हैं. जेटली ने कहा, "कभी कभी चुप्पी आरामदेह होती है लेकिन इसे साजिश के तहत नहीं अपनाया जाना चाहिए."
इस बीच लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने ममता बनर्जी का बचाव करते हुए कहा कि वह लालगढ़ की रैली में शांति का संदेश लेकर गईं और वह हिंसा के खिलाफ हैं. बंदोपाध्याय ने कहा, "सभी पार्टियों को ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए ताकि नक्सल समस्या का अंत किया जा सके. ममता बनर्जी ने नई दिशा दिखाई है."
इस मुद्दे पर भारतीय संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा और राज्यसभा की कार्यवाही घंटे भर के लिए स्थगित करनी पड़ी. बीजेपी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से जवाब चाहता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः आभा एम