महिलाओं का फुटबॉल प्रेम
१६ जून २०१०फुटबॉल विश्व कप का बढते सफर में अब महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ गई है. स्टेडियमों में अब पहले की तुलना में ज्यादा महिलाएँ नजर आने लगी हैं। पिछले चार विश्व कप में यह देखा गया है कि महिलाएं बिंदास होकर मैच देखने आती हैं औऱ खूब हो हल्ला मचाती हैं. मनपसंद टीम और खिलाड़ी का उत्साह बढ़ाने में वो सारी हदें पार कर जाती हैं.
मैच को कवर कर रहे कैमरामैन भी इतने उस्ताद रहते हैं कि वे गोल या इंजरी टाइम के दौरान फौरन कैमरा दर्शकों की तरफ मोड़ देते हैं. पता नहीं दुनिया की कौनसी सुंदरी इसमें कैद हो जाए.
पिछले कुछ विश्व कप मुकाबलों को छोड़ दें तो अभी तक फुटबॉल मैचों के दौरान बीयर पीकर मस्ताने वाले और विरोधी टीम का मनोबल गिराने वाले पुरुष ही नजर आते थे, लेकिन अब सुंदर-सजीली युवतियों की मौजूदगी से स्टेडियम का आकर्षण बढ़ता जा रहा है.
बर्लिन में पति के साथ टूर कंपनी चलाने वाली पेट्रा विएटेन का भी मानना है कि पहले से कहीं ज्यादा युवतियां टूर कंपनी में आने लगी हैं. पेट्रा की कंपनी दुनिया भर में होने वाले फुटबॉल मैचों में खेल के दीवानों को लाने- ले जाने का काम करती है. आजकल स्टेडियमों में सभी तरह की सुविधाएँ मौजूद रहने लगी हैं। मसलन खाने-पीने की कोई फिक्र नहीं रहती, लिहाजा फुटबॉल मैच उनके लिए पिकनिक के समान हो गए हैं.
सौतन भी बन जाता है विश्व कप
जो महिलाएँ स्टेडियमों तक पहुँचने में सफल हो जाती हैं, उनके लिए तो विश्व कप स्वर्ग समान हो जाता है लेकिन कुछ महिलाओं के लिए ये सौतन भी साबित होता है. पुरुषों के लिए विश्वकप के रोमांच को बहुत सी घरेलू और कामकाजी महिलाएं सौतन मानती हैं. जैसे ही विश्व कप का महासंग्राम शुरू होता है, वैसे ही महिलाओं का पारा सातवें आसमान को छूने लगता है. इसकी वजह यह है कि उनकी कोई पूछ-परख नहीं होती और एक महीने तक पुरुष उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं.
घरेलू और कामकाजी महिलाओं का बस चले तो वे विश्व कप का आयोजन ही नहीं होने दें. फुटबॉल विश्वकप में लैटिन अमेरिकी देशों का आलम देखते ही बनता है. इन देशों के फुटबॉल प्रेमी महीने भर के लिए खुद को खेल के जुनून में इस कदर डुबो देते हैं कि उन्हें दीन-दुनिया की कोई फिक्र नहीं रहती. उन्हें फुटबॉल के अलावा औऱ कुछ नजर नहीं आता.
इन देशों की महिलाओं का आरोप है कि उनके शौहर दुनिया के सबसे बड़े मेले में इस कदर खो जाते हैं कि उन्हें याद ही नहीं रहता कि उनकी कोई बीवी भी है। यहाँ तक कि वे फुटबॉल के आलम में खाना-पीना तक भूल जाते हैं. जहां देखो पुरुषों का जमावड़ा होता है और वे मैचों पर ही चर्चा करते हैं. महिलाओं को लगता है कि इस खेल मेले के शुरू होने के साथ ही वो बेकार की चीजें हो जाएंगी. उनकी सुंदरता को कोई एक नजर उठाकर देखेगा भी नहीं.