''माओवादियों को हथियार चीन से''
८ नवम्बर २००९माओवादी जिन्हें नक्सली भी कहा जाता है, क्या उनके चीन से कोई लिंक हैं इस सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह सचिव का कहना है, ''चीनी लोग बड़े स्मगलर हैं, वे छोटे हथियारों के सौदागर हैं. मुझे यक़ीन है कि माओवादियों को भी वहां से हथियार मिलते हैं.'' लेकिन पिल्लई ने ये साफ़ नहीं किया उन्हें चीनी तस्करों से हथियार मिल रहे हैं या आधिकारिक एजेंसियों से.
विदेशी हथियार या देशी
हालांकि इस बारे में नक्सल आंदोलन का अध्ययन करने वाले कई जानकारों का मानना है कि इन लोगों के पास ज़्यादातर पुलिस से छुड़ाए गए हथियार और असला ही है. और चूंकि ये लोग आदिवासी इलाक़ों में सक्रिय हैं तो स्थानीय जनता के तीर धनुष भाले बर्छी जैसे पारंपरिक और देसी हथियारों से भी ये मुक़ाबला करने की कोशिश करते हैं.
नई दिल्ली में साउथ एशिया फ्री मीडिया एसोसिएशन के एक समारोह में भाग ले रहे पिल्लई ने ये भी कहा कि माओवादियों से चीन के साथ हथियारों के अलावा किसी और तरह का लिंक नहीं नज़र आता. पिछले दिनों ही भारत के गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा था कि माओवादियों को बांग्लादेश, म्यामांर और शायद नेपाल से हथियारों की मदद मिल रही है.उनका कहना था कि भारत की इन देशों से सीमाएं खुली हुई हैं. और ख़ासकर भारत नेपाल सीमा तो बिल्कुल खुली हुई है.
बातचीत को हमेशा तैयार
माओवादियों से निपटने के मुद्दे पर गृह सचिव जी के पिल्लई ने दावा किया कि सरकार उनसे बात करने की इच्छुक है. लेकिन उन्हें हिंसा छोड़नी होगी. पिल्लई ने ये भी कहा कि नक्सल प्रभावित इलाक़ों में सरकार का अभियान बिल्कुल स्पष्ट और सीधा है. उन्होंने कहा, ''गृह मंत्री ने इस बारे में पहले एतराज़ उठाने वाले लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष रवि राय से भी बात की है. और उन्होंने अभियान के लिए हां कह दी है. कुछ जवाब आने लगे हैं. प्रक्रिया शुरू हो रही है. देखते हैं क्या होता है. बातचीत कोई मुश्किल काम नहीं है. मुश्किल ये है कि माओवादी पहले हिंसा तो छोड़ें, उनके ऐसा किए बिना बातचीत करना संभव नहीं होगा.''
ऑपरेशन के ख़िलाफ़ अपील
रवि राय समेत देश के जाने माने सार्वजनिक बुद्धिजीवियों, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार से अपील की थी कि नक्सलियों के ख़िलाफ़ हथियारबंद ऑपरेशन छेड़ने के बजाय उन्हें बातचीत के लिए बुलाया जाए.
भारत के गृह सचिव जी के पिल्लई ने कहा कि सरकार ने माओवादियों को हथियार डालने को कभी नहीं कहा, सरकार बस इतना चाहती है कि वे हिंसा छोड़ें क्योंकि उसके साथ साथ बातचीत भी होती रहे ये संभव नहीं है. पिल्लई के मुताबिक अभी की सच्चाई ये है कि माओवादी हिंसा छोड़ने के लिए तैयार नहीं है.
दबाव तो बनाना होगा
पिल्लई ने चरमपंथियों से बातचीत की प्रक्रिया के बारे में पूछे गए एक अलग सवाल के जवाब में कहा कि कोई भी ऐसा आंदोलन बातचीत के लिए आगे नहीं आता जब तक कि उस पर कोई दबाव न हो. उन्होंने इस सिलसिले में एनएससीएन(आईएम) के साथ 1997 में हुई बातचीत और उल्फा के साथ कुछ साल पहले हुई बातचीत की ओर ध्यान दिलाया.
गृह सचिव ने साफ़ किया कि माओवादियों के असर वाले इलाकों में सुरक्षा बल अपने ऑपरेशन के दौरान पहले गोली नहीं चलाएंगें. उनका कहना है, ''|इस बारे में रणनीति स्पष्ट है. वे इलाक़े को साफ़ करेंगे. नागरकि प्रशासन उनके पीछे जाएगा. लेकिन किसी को निशाना बनाया जाता है तो जवाबी कार्रवाई होगी.'' सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नक्सली देश के कम से कम बीस राज्यों में सक्रिय हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस जोशी
संपादन: आभा मोंढे