मार भी सकते हैं मल्टीविटामिन और मिनरल्स
११ अक्टूबर २०११अमेरिका और फिनलैंड के रिसर्चरों ने 38,773 महिलाओं पर यह अध्ययन किया. महिलाओं की औसत उम्र 62 साल थी. यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की रिसर्च टीम कहती है, "हमने पाया कि रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाले कई विटामिन और मिनरल्स के उत्पाद चाहे वह मल्टीविटामिन, विटामिन B6, फोलिक एसिड या फिर मिनरल्स में आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर हो, ये चीजें मृत्यु के जोखिम को बढ़ाती हैं."
जिन महिलाओं ने विटामिन और मिनरल्स अलग से लिए उनकी जीवनशैली आम लोगों की तुलना में बेहतर थी. ऐसी महिलाएं डाइट के हिसाब से और कम वसा वाला खाना खाती थीं. ऐसी महिलाओं में धुम्रपान करने वालों की संख्या भी कम थी. वे व्यायाम भी किया करती थीं. लेकिन इसके बावजूद उन पर मरने का खतरा ज्यादा बना रहा.
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में छपे इस लेख के मुताबिक मल्टीविटामिन लेने वाली 41 फीसदी महिलाओं की मौत हुई. जबकि उन्हीं की उम्र की मल्टीविटामिन न लेने वाली महिलाओं में 40 फीसदी की मौत हुई. यानी विटामिन और मिनरल्स की गोलियां या पाउडर न खाने वाली महिलाओं को कम खतरा रहा. स्टडी कहती है, "मुख्य चिंता यह है कि अतिरिक्त आयरन मुख्य रुप से मृत्यु के खतरे को काफी बढ़ा देता है." इसके उलट अतिरिक्त कैल्शियम मृत्यु के खतरे को कम करता है. शोधकर्ता मानते हैं कि शोध के नतीजे पुरुषों पर भी लागू होते हैं.
अमेरिकी डॉक्टरों ने भी जोर देकर कहा है कि लोग अपने मन से अतिरिक्त विटामिन और मिनरल्स न खाएं. शरीर में किसी चीज की कमी होने पर डॉक्टरों को ही तय करना चाहिए कि पीड़ित व्यक्ति को क्या क्या दिया जाए. सर्बिया और कोपेनहेगन की यूनिवर्सिटी के लिए शोध कर रहे डॉक्टर गोरान जेलाकोविच कहते हैं, "हमें लगता है कि 'ज्यादा है तो बेहतर' वाली धारणा गलत है." शोधकर्ताओं का कहना है कि अतिरिक्त आयरन के असर को अभी ज्यादा गहराई से जानने की जरूरत है. यह देखना है कि किन परिस्थितियों में आयरन लिया गया.
वैसे फलों, सब्जियों और रोजमर्रा के खाने से इंसान को पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिल जाते हैं. लेकिन इसके बावजूद आधे अमेरिकी किसी न किसी तरह की विटामिन की गोलियां खाते हैं. अमेरिका में विटामिन और मिनरल्स बेचने वाली कंपनियों का कारोबार 20 अरब डॉलर का है. अच्छी और लंबी सेहत के नाम पर यह कारोबार खड़ा है. रिसर्च यह देखने के लिए की जा रही है कि क्या वाकई इन चीजों से लोगों को फायदा हो रहा है. रिसर्च टीम कहती है, "यह निचोड़ निकाला जा सकता है कि ऐसी चीजों से फायदा मिलने का कोई सबूत नहीं मिला है."
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा