मिस्र में आज नई सरकार का गठन
२९ जनवरी २०११मुबारक ने कहा, "मैंने सरकार से इस्तीफा देने को कहा और कल (शनिवार को) एक नई सरकार होगी." हालांकि उन्होंने सुरक्षा बलों की कार्रवाई का बचाव किया है. मुबारक ने कहा, "मुझे खेद है कि मासूम लोगों की मौत हुई है और कई घायल भी हुए हैं." मुबारक ने कहा कि वे यह बात समझते हैं कि जनता गरीबी, बेरोजगारी से मुक्ति और लोकतांत्रिक सुधार चाहती हैं. उन्होंने वादा किया कि वह प्रगति की राह पर चलते रहेंगे. हालांकि मुबारक मानना था कि उनके सुधारों की वजह से ही मिस्र में लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने की स्थिति में हैं. इस हफ्ते की शुरुआत से हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद मुबारक ने पहली बार जनता को संबोधित किया. हालांकि उनके भाषण के दौरान भी विरोधी प्रदर्शन जारी रहे.
जनता का आक्रोश
काहिरा में कर्फ्यू लागू होने बाद भी हजारों लोग सड़कों पर उतर कर विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया. शुक्रवार रात को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पे हुईं और लोगों ने सरकारी दफ्तरों पर भी धावा बोला. मिस्र के सरकारी टेलिविजन चैनल के मुताबिक सुएस शहर में झड़पों में 13 लोग मारे गए और 75 घायल हुए. उत्तर सिनाई में भी एक व्यक्ति की मौत हो गई. अब तक प्रदर्शनों में हुए झड़पों में 20 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. शुक्रवार रात तक सेना ने पुलिस की जगह ले ली. काहिरा में हैलिकॉप्टर और टैंक भी देखे गए. एक टीवी चैनल के मुताबिक 800 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं और इनमें से 300 लोग काहिरा के अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं.
मिस्र में दिन भर इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवाओं के बंद हो जाने से वहां की स्थिति और चिंताजनक हो गई है. कर्फ्यू से हवाई यातायात पर भी असर पड़ा है. वियेना से वापस आए नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता मोहम्मद अल बरदेई को भी नजरबंद कर दिया गया है. हालांकि विपक्ष और विरोध के चेहरे के रूप में उनके पेश होने पर सवाल उठ रहे हैं. उदारवादी वफ्द पार्टी के प्रमुख साजिद अल बदावी ने शुक्रवार को अंतरिम सरकार की मांग की और मिस्र के संविधान में बदलाव का आह्वान किया.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
उधर मिस्र की स्थिति पर चिंता जता रही अमेरिकी सरकार ने कहा कि अगर राष्ट्रपति मुबारक प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार नहीं बंद करते तो अमेरिका मिस्र को मदद देना बंद कर देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि मिस्र की जनता को अधिकार है कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करे. और सरकार को इस पर हमला नहीं करना चाहिए. विदेश मंत्री हिलरी क्लिंटन ने कहा कि मिस्र की सरकार को जनता के साथ मिलकर सुधार लाने होंगे. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून और यूरोपीय संघ की विदेश प्रतिनिधि कैथरीन ऐशटन ने भी मिस्र के लोगों के साथ मिलकर सुधार लाने की बात कही है.
मंगलवार को शुरू हुए प्रदर्शन 1977 में 'ब्रेड रायट्स' के बाद सबसे बड़े प्रदर्शन हैं. उस वक्त लोगों ने खाद्य सामग्री पर सरकारी सबसिडी खत्म करने के खिलाफ विरोध किया था. मिस्र की सरकार ने ऐसा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के दबाव में आ कर किया था. अस समय लाखों लोगों को सड़कों पर से हटाने के लिए सेना को तैनात किया गया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः आभा एम