मिस्र वालों से बोला अल कायदा, जिहाद करो
९ फ़रवरी २०११अल कायदा की तरफ से अपील जारी होने की बात अल कायदा की हरकतों पर नजर रखने वाली अमेरिकी निगरानी संस्था साइट (SITE) ने दी है. साइट के मुताबिक मिस्र के प्रदर्शनों पर अल कायदा की तरफ से पहली बार बयान आया है जो 8 फरवरी को जारी किया गया. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए संदेश में कहा गया है, "मिस्र में जिहाद और शहादत का रास्ता खुल गया है और इसमें हर सक्षम इंसान को हिस्सा लेना चाहिए. मिस्रवासियों को लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद के नाम पर धोखा खाने से बचना चाहिए. आपका जिहाद इस्लाम का समर्थन है. मिस्र, गजा और इराक के कमजोर और सताए हुए लोगों का समर्थन है. यह समर्थन हर उस मुस्लिम के लिए है जिसे मिस्र के गुनहगारों और वॉशिंगटन, तेल अवीव में बैठे उसके सरपरस्तों ने सताया है. "
अमेरिका की चेतावनी
इधर अमेरिका ने राष्ट्रपति मुबारक से कहा है कहा है कि वह देश में आपातकाल को तुरंत खत्म करें और देश में लोकतांत्रिक सुधारों को तुरंत लागू करें. हालांकि उप राष्ट्रपति उमर सुलेमान ने चेतावनी दी है कि जल्दबाजी में लागू किए गए सुधार से सबसे ज्यादा आबादी वाले अरब देश में अस्थिरता आएगी.
उप राष्ट्रपति उमर सुलेमान टेलिविजन पर प्रसारित संदेश में कहा है,"राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आम सहमति का स्वागत किया और यह तय है कि हम लोग अपने मौजूदा संकट के हल के लिए सही दिशा में बढ़ रहे हैं. देश में शांतिपूर्ण तरीके से संगठित रूप में सत्ता परिवर्तन के लिए समयबद्ध और साफ रोडमैप तैयार कर लिया गया है."
अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उमर सुलेमान को टेलीफोन कर तुरंत और पलटे न जा सकने वाले राजनीतिक बदलाव लाने के लिए कहा है. साथ ही विपक्ष के साथ विस्तार से बातचीत के लिए भी जोर दिया है.
इंटरनेट बड़ी ताकत
राजधानी काहिरा में हजारों लोग तहरीर स्क्वेयर पर जमे हुए हैं. ये लोग इंटरनेट को अपने आंदोलन की बड़ी शक्ति मान रहे हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और ट्विटर के अलावा गूगल इनके लिए दुनिया भर में अपनी बात पहुंचाने और समर्थन जुटाने के बड़ा जरिया साबित हुआ है. प्रदर्शन कर रहे लोगों के हाथों में इन सबकी तारीफ में नारे लिखी तख्तियां हैं. गूगल के अधिकारी वाएल गोहिन को भी खूब तारीफें मिल रही हैं. गोहिन को सरकार ने 12 दिन तक हिरासत में रखने के बाद अब रिहा कर दिया है. प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े गोहिन ने कहा, "मिस्र एक बेहतर जीवन का हकदार है. आज हमारे सपनों में से कुछ साकार हो गए हैं. हम एक साथ हैं और एक दूसरे पर भरोसा कर रहे हैं."
इससे पहले मिस्र की सरकार ने सितंबर में होने वाले चुनावों से पहले संविधान में बदलाव की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाने का एलान किया. मुबारक पिछले 30 साल से गद्दीनशीन हैं और उन्होंने एलान किया है कि सितंबर में होने जा रहे चुनावों में वह हिस्सा नहीं लेंगे. इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 15 फीसदी के इजाफे का भी एलान किया गया है.
पर ज्यादातर प्रदर्शनकारी देश में मौजूद बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और मुबारक के शासन में हुई ज्यादातियों से खफा हैं और चाहते हैं कि राष्ट्रपति तुरंत गद्दी छोड़ें.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार