मीडिया की भूमिका पर ग्लोबल बहस
२५ जून २०१२जर्मन शहर बॉन में भी एक ऐसी ही बहस चल रही है जिसमें 'संस्कृति, शिक्षा और मीडिया--टिकाऊ दुनिया का निर्माण' पर बात करने के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं. यह सम्मेलन उसी बिल्डिंग में हो रहा है जिसमें कभी जर्मनी की ससंद बैठा करती थी. तब बॉन शहर पश्चिमी जर्मनी की राजधानी हुआ करता था.
दुनिया भर के 100 देशों के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं और यह आयोजन किया जा रहा है डॉयचे वेले की तरफ से. तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन की शुरुआत हुई डॉयेचे वेले के उप निदेशक, राइनहार्ड्ट हार्टश्टाइन के भाषण से. हार्टश्टाइन ने कहा, ''चाहे पश्चिम हो या पूरब हो या दुनिया का कोई देश हो, शिक्षा- संस्कृति और शांतिपूर्वक तरीके से आपस में मिलकर रहने की चाबी है. इसमें मीडिया की भूमिका दो तरह की हो सकती है. पहली यह कि वह सूचना को सार्वजनिक करे. जहां समस्या है वहां पारदर्शिता लाए और दूसरा यह कि मीडिया बताए कि भेदभाव कहां पर है और कैसे इसे हटाया जा सकता है.''
सम्मेलन को कई सत्रों में बांटा गया है और इसमें दुनिया भर के मीडियाकर्मी, राजनीति विश्लेषक, ब्लॉगर और संस्कृति कर्मी हिस्सा ले रहे हैं. जिन बड़े नामों की इस बार सबसे ज्यादा चर्चा है उनमें जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बदरुद्दीन यूसुफ हबीबी प्रमुख हैं. वेस्टरवेले मंगलवार को इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे.
पहले दिन के पहले सत्र की शुरुआत हुई मीडिया की नैतिकता पर बहस से. शुरुआत की जर्मनी के उल्म विश्वविद्यालय में आईटी के प्रोफेसर राडरमाखर ने. 'टीआरपी बनाम गुणवत्ता - शिक्षित करने के मिशन और बजार के दबाव के बीच फंसा मीडिया,' इस विषय पर राडरमाखर ने कहा, ''मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. मीडिया लाखों लोगों के दिमाग को प्रभावित करता है. कई बार जो लोग सही सोचते हैं उनकी आवाज दब जाती है.'' बीच में भारत का भी जिक्र हुआ. भारत की शिक्षा पद्धति के बारे में राडरमाखर ने कहा कि वहां शिक्षा का मॉडल पश्चिम के मुकाबले एकदम अलग है. अभी ये नहीं कहा जा सकता कि कौन सही है.
इस सम्मेलन में सामूहिक विकास, सोशल मीडिया, अरब और अफ्रीका के निर्माण में मीडिया की भूमिका, शिक्षा का अधिकार, सामाजिक सक्रियता, सेना और मीडिया और साइबर मीडिया जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी. इस सम्मेलन का मकसद न तो राजनीतिक मंच मुहैया कराना है और न ही अकादमिक मंच तैयार करना है. यूनेस्को के जर्मन कमीशन के महासचिव रोनाल्ड बर्नेकर कहते हैं कि इसका मकसद,'' दुनिया भर के लोगों को एक जगह पर इकट्ठा करना और समस्याओं का समाधान निकालना है.''यूनेस्को की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में करीब 80 करोड़ बच्चे अशिक्षित हैं. दूसरी तरफ यह भी सच है कि दुनिया एक सूचना समाज में बदलती जा रही है. ऐसे में ग्लोबल मीडिया फोरम जैसे सम्मेलन की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है.
रिपोर्टः विश्वदीपक
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन