मुबारक और पूर्व मंत्रियों पर करोड़ों का जुर्माना
२८ मई २०११हुस्नी मुबारक के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अहमद नजीफ और गृह मंत्री हबीब अल अदली को अब अपनी जेब से यह जुर्माना भरना होगा. 11 फरवरी को मिस्र के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद कोर्ट की ओर से पहली बार मुबारक के खिलाफ फैसला आया है. इंटरनेट और टेलीफोन बंद करने से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के अलावा मुबारक पर कई अन्य गंभीर आरोप हैं. प्रदर्शनकारियों की हत्या का आदेश देने के आरोप में उन्हें मौत की सजा भी सुनाई जा सकती है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुबारक, नजीफ और अदली देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के दोषी हैं. तीनों पर लगाए गए जुर्माने से मिलने वाला धन मिस्र के खजाने में जाएगा. राजनीतिक विश्लेषक नबील आदेल फताह ने इस फैसले को बेहद अहम करार दिया है. उनके मुताबिक मिस्र की सरकार ने जिस तरह से संचार माध्यमों से फैली क्रांति से निपटने का प्रयास किया अब वे तरीके बदलने होंगे. "जिस तरह से मिस्र की कुछ संस्थाएं अब भी निरंकुश संस्कृति में काम कर रही हैं, यह फैसला उसे बदलने का काम करेगा."
मिस्र में 18 दिनों तक हुए विरोध प्रदर्शनों को कायम रखने में फेसबुक और ट्विटर जैसी वेबसाइट से मदद मिली. सरकार विरोधी प्रदर्शनों में 800 लोगों की मौत हुई और 6 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए कारतूस, रबर की गोलियों, पानी की तेज बौछारों और लाठियों का इस्तेमाल किया.
टेलीकॉम ऑपरेटर वोडाफोन का कहना है कि जब मुबारक सरकार से उन्हें कुछ इलाकों में टेलीकॉम व्यवस्था ठप करने का आदेश मिला तो उनके पास इस आदेश को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वोडाफोन ने प्रशासन पर सरकार के समर्थन में एसएमएस भेजने में उसके नेटवर्क का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया. संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि जुर्माने से मिलने वाला कुछ पैसा मोबाइल टेलीकॉम ऑपरेटरों को दिया जाएगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उभ