1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मुबारक के बाद मिस्र के मंत्रिमंडल की पहली बैठक

१३ फ़रवरी २०११

मिस्र की कार्यवाहक सरकार ने होस्नी मुबारक की विदाई के बाद रविवार को पहली बैठक की. इस बीच मिस्र की पुलिस अपनी बिगड़ी छवि बचाने के लिए प्रदर्शन कर रही है. खबर ये भी है कि मिस्र के म्यूजियम से चीजें गायब हैं.

https://p.dw.com/p/10Ga4
तस्वीर: AP

मिस्र में मुबारक के जाने के बाद सत्ता संभाल रही सेना की सर्वोच्च परिषद ने कहा कि नई नागरिक सरकार का गठन होने तक कैबिनेट देश का शासन संभालेगी. बैठक जिस कमरे में हुई उसकी दीवार खाली थी पहले यहां होस्नी मुबारक की बड़ी सी तस्वीर लगी रहती थी जो पिछले तीन दशकों से देश का शासन संभाल रहे थे. 18 दिनों की क्रांति के शुरुआती दिनों में इस कैबिनेट का गठन भी मुबारक ने ही किया था जिसके ज्यादातर सदस्य सेना के बड़े अधिकारी हैं. हालांकि तब मुबारक को भी अंदेशा नहीं था कि लोगों को मनाने की उनकी सारी तरकीबें नाकाम साबित होंगी.

कैबिनेट की बैठक के दौरान ही पुरातत्व विभाग के मंत्री जही हवास ने बताया कि क्रांति के दौरान मिस्र के म्यूजियम से कई चीजों की चोरी हो गई है. इनमें किंग तुत के नाम से मशहूर तूतेनखामेन की एक मूर्ति भी है. लुटेरों ने काहिरा के तहरीर चौक पर मौजूद म्यूजियम में 28 जनवरी को सेंध लगाई इस दिन मुबारक समर्थकों, दंगा निरोधी पुलिस और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.

Ägypten Kairo Revolution Mubarak Sturz Rücktritt 13.02.2011
तस्वीर: AP

पुलिस का प्रदर्शन

इसी बीच रविवार को काहिरा में प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों के साथ सेना की झड़प हुई है और सैनिकों ने पुलिस को चेतावनी देने के लिए हवा में फायरिंग भी की है. मिस्र के पुलिसवाले अपनी इज्जत बचाने और वेतन बढ़ाने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. दरअसल प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में रखने के सरकारी आदेश का पालने करने के कारण देश में माहौल उनके खिलाफ है. गृह मंत्रालय के बाहर सेना के साथ हुई झड़प में एक पुलिस वाले के दांत टूट गए. यहां मौजूद 1,500 से ज्यादा पुलिसकर्मी सत्ता से हटाए गए पूर्व गृह मंत्री हबीब अल आदली को सार्वजनिक रूप से फांसी देने की मांग कर रहे थे. प्रदर्शन कर रहे लोगों के सिर के ऊपर से सैनिकों ने फायरिंग किए. पुलिस के कुछ जवान वर्दी में थे और नारे लगा रहे थे, "हबीब तुम जानते हो कि तुम्हें लोगों के सामने फांसी दी जाएगी."

मिस्र की पुलिस काफी बदनाम है उसे क्रूर और भ्रष्ट माना जाता है और ज्यादातर मिस्रवासी उनसे नफरत करते हैं. जबकि सेना के बारे में लोगों की राय अच्छी है खासतौर से इस क्रांति ने तो उसे लोगों के और करीब ला दिया है. प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मियों का कहना है कि लोगों के साथ क्रूरता से निबटने के लिए उन्हें मुबारक सरकार से आदेश मिला था. पुलिस की ये भी दलील है कि उनके भ्रष्ट शासकों ने उन्हें बहुत कम वेतन देकर काम पर रखा है.

रविवार को हुई कैबिनेट की बैठक से एक दिन पहले बदनाम सूचना मंत्री अनल अस फिकी ने इस्तीफा दे दिया. अनस अल फिकी पर आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से मीडिया अभियान चला कर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को विदेशी एजेंट साबित करने की कोशिश की. फिकी, आदली और पद से हटाए गए प्रधानमंत्री अहमद नाजिफ के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई है और भ्रष्टाचार के मामलों में इनके खिलाफ जांच चल रही है.

सेना की सर्वोच्च परिषद के अध्यक्ष फील्ड मार्शल मोहम्मद हुसैन तंतावी ने रविवार को गृह मंत्री महमूद वागडी से मुलाकात की ताकि सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों को जितनी जल्दी हो सके काम पर लौटाया जाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें