मुश्किल होगा यूरोप में हवाई उड़ान
२३ दिसम्बर २०११पहले उद्योग को इस दायरे में लाया गया था. अब जनवरी 2012 से विमान कंपनियों को यूरोपीय संघ में सेवा देने के लिए गैस उत्सर्जन पर ईयू सर्टिफिकेट लेना होगा. पहली जनवरी से विमान कंपनियों को भी वातारवरण को दूषित करने से संबंधित कारोबार में शामिल किया जा रहा है. लेकिन पर्दे के पीछे भारी लड़ाई चल रही है. अमेरिका, चीन और रूस इस मसले पर यूरोपीय संघ के साथ उलझ पड़े हैं.
यूरोप की सर्वोच्च अदालत ने अमेरिकी विमान कंपनियों के मुकदमे को खारिज कर दिया है और यूरोपीय आयोग के रुख को समर्थन दिया है. लेकिन इससे विवाद शांत नहीं हुआ है. अमेरिका और चीन ने यूरोपीय संघ की इस योजना को लागू नहीं होने देने की घोषणा कर रखी है. नया कानून यूरोप में आने या यहां से उड़ने सभी विमानों पर लागू होता है और वह भी उड़ान की पूरी दूरी के लिए. अमेरिका और चीन इसे अपने हवाई क्षेत्र पर संप्रभुता का उल्लंघन मान रहे हैं.
इस मामले को इस बीच उच्च स्तर पर उठाया जा रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यूरोपीय संघ के नेतृत्व को पत्र लिख कर कहा है कि इस मामले में यूरोपीय संघ अलग थलग पड़ा है. क्लिंटन ने जवाबी कार्रवाई की धमकी देते हुए कहा है, "हमें उचित कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा."
यूरोपीय कंपनियों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों की सूची लंबी है. उनमें व्यापार में बाधाएं, अतिरिक्त कर या दंडात्मक कर शामिल हो सकते हैं. चीन ने पहले ही संकेत दिए हैं कि वह जर्मन फ्रांसीसी विमान निर्माता एयरबस से हो रही अरबों की डील को खारिज कर सकता है. रूस और भारत यूरोपीय देशों की विमान सेवाओं के उड़ान लाइसेंस को समाप्त करने की धमकी दे रहे हैं.
समझौते का एक छोटा सा दरवाजा खुला हुआ है. गैर यूरोपीय देश इस नियम से बच सकते हैं यदि वे यूरोपीय संघ जैसे नियम लागू कर दें. यूरोपीय संघ की पर्यावरण कमिश्नर कोनी हेडेगार्ड कई देशों के साथ इस तरह के समाधान पर बातचीत कर रही हैं, लेकिन मामला सुलझता नहीं दिख रहा है.विवाद भड़कने का नतीजा यूरोपीय संघ में इन देशों की उड़ानों पर रोक के रूप में सामने आ सकता है.
यूरोपीय विमानन कंपनियां चिंतित हैं कि तीसरे देश भी हस्तक्षेप कर सकते हैं. यूरोपीय विमानन संघ ओईए के महासचिव उलरिष शुल्टे-श्ट्राटहाउस कहते हैं, "असली समस्या राजनीतिक है न कि कानूनी." उनका कहना है कि यदि विदेशी कंपनियों के लिए अपवाद किए जाते हैं तो इसका मतलब प्रतिस्पर्धा में हानि है. यूरोपीय कंपनियां एशिया और अमेरिका की कंपनियों के हाथों बाजार का हिस्सा गंवा सकती हैं.
2008 में ही यूरोपीय संघ ने पर्यावरण सुरक्षा के विचार को विमानन उद्योग पर भी लागू करने का फैसला किया था. 1990 के मुकाबले यूरोपीय संघ में विमान परिवहन से होने वाला उत्सर्जन दोगुना हो गया है. यूरोपीय संघ के अनुसार ब्रसेल्स से न्यूयॉर्क जाने वाला विमान प्रति यात्री 800 किलोग्राम कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन करता है. अगले साल से उन्हें 85 प्रतिशत सर्टिफिकेट मुफ्त में मिलेगा, जबकि बाकी का उन्हें खरीदना होगा.
जाहिर है कि इस तकनीकी पक्ष का सबसे ज्यादा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ सकता है. अगर विमान कंपनियों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा, तो उन्हें अपना राजस्व हासिल करने के लिए किराया बढ़ाना पड़ सकता है.
रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा
संपादन: ए जमाल