मृत्युदंड मिले कैदियों से लेते हैं प्रत्यारोपण के लिए अंग
१३ मार्च २०१२चीन जैसे कई देश हैं जहां प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे मरीजों की संख्या अंगदान करने वालों से कहीं ज्यादा है. चीन में लाखों मरीजों को किडनी की जरूरत होती है और 30 हजार लोगों को लीवर की जरूरत है. इनमें से कई अंग उन कैदियों से लिए जाते हैं जिन्हें मौत की सजा दे दी गई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के मुताबिक चीन में हर साल कम से कम हजार लोगों को मृत्युदंड दिया जाता है.
अक्तूबर 1984 में चीन के सुप्रीम कोर्ट, अभियोजन कार्यालय और चार मंत्रालयों के फैसले के आधार पर चीन में यह हो रहा है. इस कानून के अनुसार तीन मामलों में मृत्युदंड पाए कैदी के शरीर से अंग लिए जा सकते हैं- सजा होने के बाद कैदी का कोई परिजन नहीं हो, अगर कैदी अंगदान के लिए राजी हो और अगर कैदी के परिजन अंगदान के लिए रजामंदी दें.
अंगदान या...
मौत की सजा मिलने बाद उनके शरीर से अंग लेना एमनेस्टी इंटरनेशनल की सारा शेफर के मुताबिक सही नहीं है. उन्हें शंका है कि ये कैदी सच में अपनी रजामंदी इसके लिए देते हैं. वह कहती हैं कि हुआंग का ताजा बयान बताता है कि कुछ नहीं बदला.
पहले चीन में मौत की सजा गोली मार कर दी जाती थी आजकल जहर का इंजेक्शन दिया जाता है. इंजक्शन देने से अंग लेने में आसानी होती है क्योंकि उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता. चीनी कानून के जानकार लिआओ तीनची आशंका जताते हैं कि अंगदान के लिए मौत की सजा के दौरान गड़बड़ियां की जा रही हो सकती हैं. कैदियों से अंग लेने के लिए उन्हें धोखा देना पड़ता है. "कैदियों को पता नहीं होता कि उन्हें बेहोश होने की दवाई दी जा रही है या जहर का इंजक्शन."
नए कार्यक्रम
अगस्त 2009 में चीन के 10 राज्यों में अंग दान कार्यक्रम शुरू किया गया. अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भी मौत की सजा पाए लोगों से अंग लेने की संख्या बहुत ज्यादा है.
पीपल्स डेली ऑनलाइन के मुताबिक हुआंग ने इस साल राजनीतिक सलाहकार कॉन्फ्रेंस (People's Political Consultative Conference) ने घोषणा की कि सितंबर में अंगदान का एक सिस्टम लागू किया जाएगा. इसे चलाने की जिम्मेदारी चीन के रेडक्रॉस की होगी.
मानवाधिकारों के लिए काम कर रहे लोगों डर है कि अंगदान के लिए इन कैदियों से स्वीकृति नहीं मांगी जाती. लियाओ तीनची लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे स्वैच्छिक रूप से अंगदान करें. जैसा कि अमेरिका में होता है, लोगों के लाइसेंस पर लिखा होता है कि उन्होंने अंगदान के लिए हां कहा है या नहीं. "इस तरह से अंग बहुत जल्दी मिल जाते हैं और मरीजों में प्रत्यारोपित किए जा सकते हैं."
चीन में अंगदान परंपरा के खिलाफ है क्योंकि वहां मौत के बाद पूरे शरीर को जलाए जाने की पंरपरा है. कई लोगों को संदेह है कि अंगदान के मामले में सिर्फ अमीर लोगों को फायदा होता है. लियाओ का मानना है कि इन मामलों में पारदर्शिता बहुत जरूरी है और लोगों की सहभागिता और भी.
रिपोर्टः यिंग यांग/आभा एम
संपादनः एन रंजन