मेमोगेट की जांच करेगा पाक सुप्रीम कोर्ट
३० दिसम्बर २०११राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के एक निकट सहयोगी ने सैनिक तख्ता पलट से बचने के लिए देश की शक्तिशाली सेना के नेतृत्व में बदलाव के बदले अमेरिकी मदद की मांग की थी. सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति से इस मामले की जांच करने को कहा है, जबकि विपक्ष और खुफिया एजेंसी ने अदालत से स्वतंत्र जांच की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि इस मामले की जांच एक आयोग करेगा. कोर्ट की घोषणा के बाद राष्ट्रपति पर दबाव बढ़ गया है. अब ज्यादातर विश्लेषक अगले साल चुनाव के कयास लगाने लगे हैं.
अटॉर्नी जनरल मौलवी अनवारुल हक ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर मीडिया को बताया, "कोर्ट ने मेमोगेट की जांच के लिए एक आयोग बनाया है. बलूचिस्तान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इसका नेतृत्व करेंगे."
यह मेमो इसलिए विवादों में आ गया कि 2 मई को अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के अंदर मारे जाने के बाद इसमें अमेरिकी मदद के बदले सेना के नेतृत्व को पूरी तरह बदलने की पेशकश की गई थी. यह मेमो मई में अमेरिकी सेना प्रमुख माइक मुलेन को दिया गया और पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी कारोबारी मंसूर एजाज ने अक्टूबर में इसके बारे में पहली बार जानकारी दी. फाइनांशियल टाइम्स में अपने एक कॉलम एजाज ने दावा किया कि जरदारी को डर था कि सेना उनकी सरकार को पलट देगी और मेमो में उसी का जिक्र था. उनका कहना है कि राष्ट्रपति के समर्थन से अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी ने यह मेमो तैयार किया. इस बीच हुसैन हक्कानी ने इस्तीफा दे दिया है और कोर्ट ने उनके पाकिस्तान से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी है.
शुक्रवार के फैसले पर हक्कानी की वकील आसमां जहांगीर ने कहा, "यह काला दिन है. यह बहुत निराशाजनक फैसला है. आज हमें लग रहा है कि सैनिक सत्ता नागरिक सत्ता के ऊपर है. लोकतंत्र के संघर्ष को ब्लॉक कर दिया गया है."
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक कियानी ने पिछले सप्ताह इन अफवाहों का खंडन किया कि सेना सरकार का तख्ता पलटना चाहती है. सोमवार को प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने इस बात का खंडन किया है कि वे कियानी या आईएसआई प्रमुख लें. जनरल अहमद शुजा पाशा को हटाना चाहते थे. पाशा ने कहा है कि मंसूर एजाज के पास पर्याप्त सबूत हैं. उन्होंने मेमो की फोरेंसिक जांच की मांग की है.
रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा
संपादन: ए जमाल