मैर्केल ने भारत में ईरान को समझाया
१ जून २०११मैर्केल तय समय से दो घंटे देरी से भारत पहुंचीं क्योंकि उनके विमान को ईरान ने उड़ान की इजाजत नहीं दी. हालांकि बाद में उसने इजाजत दे दी. लेकिन मैर्कल के भाषण में ईरान के प्रति गुस्सा नजर आया.
जर्मनी की चांसलर ने संयुक्त राष्ट्र में भारत और जर्मनी की साझी भूमिका की अहमियत का जिक्र किया लेकिन इसमें भी ईरान की बात आ गई. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मिलकर कोशिश करनी चाहिए कि ईरान को उसकी सोच में गलती का अहसास कराया जा सके और अपने प्रभाव का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिए कि ईरान का दिल बदल जाए.
राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से अवॉर्ड लेने के बाद मैर्केल ने कहा, "हमें परमाणु अप्रसार पर पैनी निगाह रखनी होगी. हमें इसे फैलने से रोकना होगा. ईरान इस मामले में अहम है."
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
मौजूदा दौर की चुनौतियों की बात करते हुए जर्मन चांसलर ने कहा कि भारत और जर्मनी इस बात पर सहमत हैं कि संगठनों में इस तरह का बदलाव होना चाहिए कि वे उन चुनौतियों का सामना कर सकें. उन्होंने कहा, "हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए मिलकर काम करना होगा क्योंकि परिषद का प्रारूप और बनावट आज की सच्चाई को जाहिर नहीं करते."
जर्मनी और भारत उस जी-4 समूह का हिस्सा हैं जो परिषद में सुधारों की कोशिश कर रहा है. मैर्केल ने कहा कि भारत और जर्मनी पिछले कई दशकों से मिलकर काम कर रहे हैं लेकिन सहयोग के क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए और काम करना होगा ताकि रिश्ते मजबूत हो सकें.
दोनों देशों के रिश्ते
नेहरू अवॉर्ड के बारे में जर्मन चांसलर ने कहा कि यह भारत और जर्मनी के बीच सहयोग की इच्छा का सबूत है. इस अवॉर्ड में एक करोड़ रुपये की राशि दी गई है. मैर्केल का कहना है कि वह इस राशि से यूरोपीय कानून और जर्मन भाषा की पढ़ाई के इच्छुक छात्रों के लिए एक स्कॉलरशिप शुरू करेंगी. उन्होंने कहा, "यह हमारे रिश्तों को मजबूत करने का एक तरीका है. दोनों देशों के रिश्तों को एक नए स्तर तक ले जाना मेरी निजी प्रतिबद्धता है."
आतंकवाद के खिलाफ जंग
आतंकवाद के बारे में बात करते हुए मैर्केल ने कहा कि उन देशों की ओर बहुत ध्यान से देखने की जरूरत है जहां आतंकवादियों को पनाहगाह मिली हुई हैं. अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद से लड़ रहा है और जर्मनी उस लड़ाई का हिस्सा है. मैर्केल ने कहा, "आप जानते हैं कि जर्मनी ने इसके लिए अपने करीब पांच हजार सैनिक दिए हैं. भारत भी उस देश की मदद के लिए अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रहा है ताकि वहां स्थिरता आ सके और वह एक शांतिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ सके."
रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया