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मोटापे का कारण वसा कोशिकाएं

५ अक्टूबर २०१०

दुनिया भर में बढती बीमारियों के बीच मोटापा एक गंभीर समस्या के तौर पर उभरा है. बीमारियों की जड़ के तौर पर मोटापे से जुड़े शोधों में नई जानकारियां सामने आई हैं. समस्या को रोकने में ये उपयोगी साबित हो सकती हैं.

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तस्वीर: PA/dpa

ताजा अध्ययन से पता चला है कि वजन में 1.6 किलोग्राम का इजाफा होने का मतलब यह यह है कि शरीर में 2.6 अरब नई वसा कोशिकाओं ने अपना ठिकाना बना लिया है. नई वसा कोशिकाएं जांघों में पनपती हैं. इसका मतलब जांघों का बढ़ता आकार मोटापे का सूचक है. इसके बाद अतिरिक्त वसा कोशिकाएं तोंद में जमा हो जाती है. यह मोटापे का दूसरा चरण है.

अमेरिका स्थित मेयो क्लीनिक के प्रमुख माईकल जेनसन ने बताया कि वजन बढ़ने पर नई वसा कोशिकाएं जांघों में पनपने लगती हैं जबकि तोंद में मौजूद वसा कोशिकाएं सिर्फ अपना आकार बढ़ाती रहती हैं. जेनसन कहते हैं कि इससे पुरानी धारणा टूटी है कि वयस्क होने के बाद शरीर में नई वसा कोशिकाएं नहीं पनपती हैं.

Dicke Kinder bei McDonald's Schnellrestaurant Übergewicht
तस्वीर: AP

नए अध्ययन के बारे में उन्होंने बताया कि युवाओं ने स्वयं को इस धारणा के साथ अपनी मर्जी से इस प्रयोग में शामिल किया था कि वयस्कों में नई वसा कोशिकाएं नहीं पनपतीं. मेडिकल सांइस मानती है कि वयस्कों में शरीर का वजन बढ़ने पर वसा कोशिकाएं सिर्फ अपना आकार बढ़ाती रहती हैं.

जेनसन कहते हैं कि प्रयोग से यह भी पता लग सकेगा कि शरीर के किस हिस्से में वसा कोशिकाओं का पनपना फायदेमंद हैं और कहां नुकसानदायक. माना जाता है कि बीमारियों के लिहाज से शरीर के निचले हिस्से की तुलना में तोंद का आकार बढ़ना ज्यादा खतरनाक है.

प्रयोग में 28 लड़के लड़कियों को शामिल किया गया जिन्हें भरपूर मात्रा में मिल्क शेक, मिठाई, एनर्जी शेक और चॉकलेट खाने को दी गई. दो महीने के भीतर इनके शरीर के ऊपरी हिस्से का वजन 2 किलोग्राम तक बढ़ गया और निचले हिस्से में कूल्हे और जांघ के वजन में औसतन 1.5 किलोग्राम तक का इजाफा हुआ.

इस दौरान निचले हिस्से में सबसे ज्यादा 2.6 अरब वसा कोशिकाएं बनीं. शुरूआती परिणामों के आधार पर कहा जा सकता है कि पैरों में लंबी कोशिकाओं का पाया जाना फायदेमंद हो सकता है. इसके अलावा यह भी साफ हो गया कि वसा के कारण वजन बढ़ना मोटापे के दायरे में आता है और यही बीमारियों का कारण भी बनता है. शरीर के आकार को देखते हुए सामान्य तौर पर अधिक वजन होना चिंता की बात नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः महेश झा

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