मौत की सजा में पूरी दुनिया पर भारी चीन
२८ मार्च २०११लंदन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि चीन में मौत की सजा पाने वालों की सही सही संख्या तय कर पाना तो संभव नहीं है क्योंकि इस बारे में सरकारी आंकड़े बहुत ही गोपनीय रखे जाते हैं. लेकिन वहां 2010 में हजारों लोगों को सजा-ए-मौत दिए जाने का अनुमान है. ये सजाएं कई तरह के अपराधों के लिए दी गई हैं जिनमें अहिंसक अपराध भी शामिल हैं. हालांकि पूरी कानूनी कार्यवाही के बाद इन सजाओं का निर्धारण हुआ, लेकिन इस कार्यवाही को अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक नहीं कहा जा सकता.
एमनेस्टी की रिपोर्ट का कहना है कि चीन को छोड़ कर बाकी दुनिया में मौत की सजा पाने वाले लोगों की संख्या 2010 में घट कर कम से कम 527 हो गई जो 2009 में 714 थी. 2010 में कम से कम 23 देशों में कानूनी रूप से मौत की सजा दी गई जबकि 2009 में ऐसे देशों की संख्या 19 थी. जी20 समूह के चार देशों चीन, जापान, सउदी अरब और अमेरिका में भी पिछले साल लोगों को मौत की सजा दी गई.
रिपोर्ट में माना गया है कि चीन में मौत की सजा पाने वालों की संख्या को कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. देश की सर्वोच्च अदालत ने 2007 से दी गई सभी मौत की सजाओं की समीक्षा का फैसला किया है. इनमें 10 प्रतिशत फैसलों को बदला भी गया है. इसके अलावा चीन में गैर कानूनी तरीके से हासिल किए गए सबूतों और प्रताड़ित करके जुर्म कबूल कराने पर सख्त रुख अपनाया है. साथ ही 75 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों को मौत की सजा से छूट दी जा रही है. लेकिन जिन लोगों को मृत्युदंड दिया गया है, उनके बारे में सरकार अब तक आंकड़े जारी करने से हिचकती है.
मौत की सजा देने वाले देशों में चीन के बाद ईरान का में 252 लोगों को यह सजा दी गई. इसके बाद उत्तर कोरिया में कम से 60 लोग, यमन में कम से कम 53 और अमेरिका में 46 लोगों को मौत की सजा दी गई.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम