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म्यांमार हिंसा पर यूएन से दखल की मांग

२३ जुलाई २०१२

म्यांमार में मुसलमानों की हत्या पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है. सरकार और सेनाओं पर पक्षपात का आरोप लग रहा है और संयुक्त राष्ट्र से दखल देने की मांग की गई है. अमेरिका ने वित्तीय मदद की पेशकश की है.

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तस्वीर: dapd

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने दावा किया है कि मुसलमानों की हत्या, उन्हें प्रताड़ित करने और महिलाओं के साथ बलात्कार की कई घटनाएं सामने आई हैं. हिंसा का केन्द्र समुद्र किनारे का राखिन प्रांत है. यहां पिछले महीने से हिंसा हो रही है, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है.

पुलिस-सेना हिंसा में शामिल?

बैंकॉक में रहकर एमनेस्टी इंटरनेशनल के लिए काम करने वाले बेंजामिन जवाकी का कहना है, "पिछले डेढ़ महीने से हिंसा एक पक्षीय हो गई है. इनमें से कई घटनाएं तो ऐसी हैं, जिनमें सुरक्षा एजेंसियां भी शामिल हैं. कई बार तो स्थानीय बौद्ध समुदाय और सुरक्षा एजेंसियां दोनों मिलकर हिंसा को अंजाम दे रही हैं." जवाकी का कहना है कि पुलिस ने सैकड़ों रोहिंग्या मुसलमानों को बिना बताए गिरफ्तार कर लिया है. एमनेस्टी की तरफ से बयान भी जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि व्यवस्था बनाना, लोगों को सुरक्षा मुहैया करना और मानवाधिकारों का हनन रोकना जरूरी है. लेकिन यहां गिरफ्तारियां पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई हैं.एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए म्यांमार की सेना और राखिन के बौद्ध समुदाय दोनों को जिम्मेदार ठहराया है. म्यांमार की सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से भी इनकार कर दिया है. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों को घुसपैठी माना जाता है.

Polizei in Birma Myanmar
तस्वीर: Reuters

हिंसा की शुरुआत

सबसे पहले मई में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं. इसके बाद हिंसक आग पूरे इलाके में फैल गई. 10 जून को राखिल प्रांत में इमरजेंसी लगा दी गई. सरकार का दावा है कि अब तक 78 लोग हिंसा में मारे गए हैं और कई घरों में आग लगा दी गई है. शुरुआती दौर की हिंसा में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक अब मुसलमानों को ही निशाना बनाया जा रहा है. हालांकि सरकारी प्रवक्ता विन म्यांग ने एमनेस्टी इंटरनेशनल के आरोपों को खारिज किया है. उनका कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों ने 100 रोहिंग्या मुसलमानों को ही गिरफ्तार किया है लेकिन ये गिरफ्तारी पक्षपातपूर्ण नहीं है सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक इस इलाके में 95 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. जाहिर है ज्यादातर गिरफ्तारी इसी समुदाय से की गई है.

अंतरराष्ट्रीय राजनीति

इस बीच इस मामले में अंतरराष्ट्रीय राजनीति भी शुरू हो गई. ईरान ने संयुक्त राष्ट्र संघ से अपील की है कि वह इस मामले में दखल दे और म्यांमार सरकार से मुसलमानों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए कहे. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत मुहम्मद काजी ने यूएन सचिव बान की मून को एक पत्र लिख कर हस्तक्षेप की मांग की है.उधर, अमेरिका ने हिंसा से प्रभावित इलाके के लिए 30 लाख डॉलर की सहायता का एलान किया है. अमेरिकी राजदूत डेरेक मिचेल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत शान और कशिन राज्य में विस्थापित लोगों के लिए खाद्य सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. म्यांमार में जातीय हिंसा का इतिहास पुराना है. हालांकि नई सरकार ने कई गुटों के बीच सुलह की कोशिश की है लेकिन कई मसले अभी भी अनसुलझे हैं. सरकार और विद्रोही गुटों के बीच देश के उत्तरी इलाके में जब तब हिंसक झड़पें होती रहती हैं.

Sittwe Kämpfe zwischen Muslimen und Buddhisten
तस्वीर: Reuters

नागरिकता का मामला

पिछले कुछ समय में म्यांमार के अंदर रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हिंसा से विश्व समुदाय चिंता में है. देश के अंदर इस समुदाय का भविष्य खतरे में पड़ गया है. रोहिंग्या लोग मूल रूप से बंगाली हैं और ये 19वीं शताब्दी में म्यांमार में बस गए थे. तब म्यांमार ब्रिटेन का उपनिवेश था और इसका नाम बर्मा हुआ करता था. 1948 के बाद म्यांमार पहुंचने वाले मुसलमानों को गैरकानूनी माना जाता है. उधर, बांग्लादेश भी रोहिंग्या लोगों को नागरिकता देने से इनकार करता है. बांग्लादेश का कहना है कि रोहिंग्या कई सौ सालों से म्यांमार में रहते आए हैं इसलिए उन्हें वहीं की नागरिकता मिलनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक म्यांमार में करीब 8 लाख रोहिंग्या हैं. ये हर साल हजारों की तादाद में या तो बांग्लादेश या फिर मलेशिया भाग जाते हैं. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस समुदाय के लोगों को जबरन काम में लगाया जाता है. उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और उनकी शादियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक दुनिया का कोई आदमी बिना किसी देश की नागरिकता के नहीं रह सकता. मानवाधिकार हनन के मामले में म्यांमार का रिकॉर्ड खराब माना जाता है.

वीडी/एजेए (एपी)

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