म्यूनिख को नहीं याद करेगा लंदन
२७ जुलाई २०१२अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में मारे गए खिलाड़ियों की याद में मौन रखने से इनकार कर दिया है. ये सभी खिलाड़ी इस्राएल के थे. मौन रखने की अपील खिलाड़ियों की पत्नियों ने की थी, जिसका अमेरिका ने समर्थन किया. इस बारे में अमेरिका में आज मौन का आयोजन किया जा रहा है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष याक रोगे ने बुधवार को ओलंपिक खेल गांव के दौरान मौन रखा लेकिन खिलाड़ियों की पत्नियों ने इसको पर्याप्त नहीं बताया.
घटना 40 साल पहले की है. फलीस्तीनी आतंकवादियों ने इस्राएल के ओलंपिक खिलाड़ियों, टीम के कोच और एक जर्मन पुलिस अधिकारी सहित 11 लोगों की ओलंपिक के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्याकांड में कुल 17 लोगों की जान गई. आतंकवादियों ने खेल गांव से पहले खिलाड़ियों का अपहरण किया फिर उनकी हत्या कर दी. बताया जाता है कि आतंकवादियों की मंशा खिलाड़ियों को ढाल बनाकर जर्मनी के बाहर निकलना था लेकिन जब इसमें वो कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने हत्याकांड को अंजाम दिया.
खेल इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी के पीछे 'ब्लैक सितंबर' नाम के एक आतंकवादी संगठन का हाथ था. बताया जाता है कि जैसे ही म्यूनिख में आंतकवादियों ने खिलाड़ियों को बंधक बनाया उसके तुरंत बाद फलीस्तीन ने इस्राएल की जेलों में बंद 234 फलीस्तीनियों को रिहा करने की मांग की थी.
जर्मनी की जानी मानी पत्रिका डेर श्पीगल ने इस सप्ताह के अंक में म्यूनिख हत्याकांड को प्रमुख खबर बनाया है. पत्रिका में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि जर्मन अधिकारियों को इस हत्याकांड की संभावना के बारे में जानकारी थी लेकिन उन्होंने लापरवाही बरती. पत्रिका में कहा गया है कि जर्मन अधिकारियों को हत्याकांड से तीन सप्ताह पहले ही बेरूत में एक फलीस्तीनी जासूस ने इस बारे में जानकारी दे दी थी. उस वक्त इस्राएल ने अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा के बारे में जर्मन अधिकारियों से चिंता जताई लेकिन अधिकारियों ने महज सुरक्षा बढ़ाने का भरोसा दिया था.
अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मौन रखने के बारे में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को एक पत्र भी लिखा था. अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से कहा गया कि इस बारे में समिति ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी समिति से कहा कि वो मारे गए खिलाड़ियों को बाकायदा श्रद्धांजलि दें. लेकिन मौन रखने की मांग का उन्होंने भी समर्थन नहीं किया. इस बीच मारे गए खिलाड़ियों की विधवाओं ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति इस बारे में सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट करे.
वीडी/एजेए (एएफपी डीपीए)