'यातनाएं दे रहे हैं लीबियाई विद्रोही'
१४ अक्टूबर २०११गुरुवार को जारी रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लीबिया की ट्रांजिशनल नेशनल काउंसिल (टीएनसी) से इसे रोकने को कहा. मानवाधिकार संगठन ने कहा, "हम समझ सकते हैं कि ट्रांजिशनल अथॉरिटी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन अगर वह बीते समय जैसी हरकतों से पीछा नहीं छुड़ाएंगे तो यही संदेश जाएगा कि बंदियों को नए लीबिया में भी ऐसी ही यातनाएं दी जाती हैं."
रिपोर्ट के मुताबिक गद्दाफी के लिए लड़ने के शक में पकड़े गए अफ्रीकी मूल के लोगों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है. अगस्त मध्य से सितंबर मध्य तक एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लीबिया के 11 हिरासत कैंपों का दौरा किया. इस दौरान 300 बंदियों से की गई बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई.
एमनेस्टी का कहना है कि 'यातनाओं और दुर्व्यवहार' के साफ सबूत मिले हैं. गद्दाफी समर्थक होने के शक के आधार पर ही यातनाएं दी जा रही हैं. "कुछ मामलों में स्पष्ट सबूत मिले हैं कि गुनाह कबूल करने, करवाने या सजा देने के लिए यातनाएं दी गईं." एक कैंप में यातनाएं देने के लिए विशेष उपकरण भी मिले हैं. अन्य कैंपों से भी रोने और चीखने की आवाजें एमनेस्टी इंटरनेशनल के कानों तक पहुंची हैं.
यह बात पहले भी सामने आ चुकी है कि लीबियाई विद्रोही अश्वेत लोगों के साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं. देश के कई हिस्सों में बिना आरोपों के अश्वेत लोगों को कैद किया गया है. राजधानी त्रिपोली और उसके आस पास के इलाकों में ही कई अश्वेत लोगों को नस्लवादी हिंसा का शिकार होना पड़ रहा है.
रिपोर्ट: डीपीए/ओ सिंह
संपादन: महेश झा